Prayagraj News: वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर प्रस्तावित कॉरिडोर मामले की चल रही सुनवाई आज (5 अक्तूबर) बेनतीजा रही. इलाहाबाद हाईकोर्ट कल 6 अक्टूबर को एक बार फिर सुनवाई हुई. आज की सुनवाई में यूपी सरकार ने अदालत के सामने कॉरिडोर की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पेश की. बताया गया कि कॉरिडोर बनाने में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा. बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों की तरफ से भी पक्ष रखा गया. उन्होंने कॉरिडोर निर्माण के लिए चढ़ावे की रकम को देने से इंकार कर दिया.


हाईकोर्ट में आज की सुनवाई का भी नहीं निकला नतीजा


सरकार की दखलअंदाजी को भी एकसिरे से नामंजूर कर दिया गया. अदालत को बताया गया कि सरकारी फंड से कॉरिडोर का निर्माण हो और बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन से चंदे की रकम का हिस्सा नहीं मांगा जताया. अदालत ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि कॉरिडोर का निर्माण सरकार कराए और चढ़ावे की रकम सेवायत लें. ऐसे में दुर्घटना होने पर जिम्मेदारी कौन लेगा? कॉरिडोर निर्माण कराने वाली सरकार की या फिर चढ़ावा लेने वाले सेवायतों की? अदालत में दोनों पक्षों की तरफ से दलीलें पेश की गईं.


बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों की तरफ से दी गई दलील


गौरतलब है कि बांके बिहारी मंदिर में अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए सरकार कॉरिडोर का निर्माण कराना चाहती है. पिछली सुनवाई में यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने सुझाव दिया था कि एक ट्रस्ट बनाकर कॉरिडोर का निर्माण कराया जा सकता है. ट्रस्ट में बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन और सरकार दोनों का सहयोग हो सकता है. हालांकि मंदिर प्रबंधन के सेवायतों की तरफ से ट्रस्ट का भी विरोध किया गया. अदालत ने अब सरकार और सेवायतों दोनों से विवाद के हल का फार्मूला बताने को कहा है. सेवायतों की तरफ से कहा गया कि मंदिर निजी संपत्ति है और सरकार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच मामले में कल 6 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी.


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