UP News: उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) के वृंदावन (Vrindavan) में बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Mandir) के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के प्रस्ताव से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चल रही सुनवाई में फिर से कोई नतीजा नहीं निकल सका. मंदिर के सेवायतों की तरफ से दोहराया गया कि वह न तो कॉरिडोर निर्माण के लिए चढ़ावे में आने वाली रकम को देंगे और न ही सरकार की किसी तरह का दखल मंजूर करेंगे.
मंदिर के सेवायतों की तरफ से कहा गया कि अगर सरकार कॉरिडोर का निर्माण करना चाहती है तो उसे यह काम अपने फंड से ही करना चाहिए. मंदिर प्रबंधन से चंदे की रकम का हिस्सा नहीं मांगा जाना चाहिए. यूपी सरकार वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बांके बिहारी मंदिर का भी कॉरिडोर बनाना चाहती है. सरकार चाहती है कि निर्माण में खर्च होने वाली रकम मंदिर में आने वाले चढ़ावे की रकम से भी ली जाए. अकेले जमीन अधिग्रहण पर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च होनी है.
सरकार और सेवायतों के बीच हो चुकी है बैठक
हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर प्रबंधन से जुड़े सेवायतों और सरकार के बीच प्रयागराज में बैठक भी हो चुकी है. हालांकि, बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका था. सेवायतों की तरफ से मंगलवार को होने वाली सुनवाई में सरकार को पैसे देने से इनकार करने और किसी तरह का दखल मंजूर नहीं होने की बात दोहराए जाने के बाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया है.
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कॉरिडोर बनाने में कितना खर्च आएगा और उसके पास फंड को लेकर वैकल्पिक व्यवस्थाएं क्या हैं. अगर मंदिर प्रबंधन के सेवायत सहयोग करने को तैयार नहीं है तो सरकार क्या कुछ करेगी. हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किस तरह से किया गया था. कितना खर्च आया था और खर्च होने वाली रकम का इंतजाम कैसे हुआ था.
ट्रस्ट बनाने का भी किया गया विरोध
बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से अक्सर होने वाली अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए सरकार कॉरिडोर का निर्माण कराना चाहती है. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने सुझाव दिया कि एक ट्रस्ट बनाकर निर्माण कराया जा सकता है. ट्रस्ट में मंदिर प्रबंधन और सरकार दोनों सहयोग दे सकते हैं. हालांकि, मंदिर प्रबंधन के सेवायतों की तरफ से ट्रस्ट का भी विरोध किया गया.
अदालत में सरकार और सेवायत दोनों से ही इस विवाद के हल का फॉर्मूला बताने को कहा है. सेवायतों की तरफ से कहा गया कि मंदिर प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसमें सरकार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट इस मामले में 5 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी. अनंत शर्मा और अन्य ने याचिका दाखिल की हुई है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई.