मथुरा: राजस्थान के भरतपुर जिले के चर्चित राजा मानसिंह हत्याकाण्ड में मथुरा की जिला अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों में से तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक सहित 11 को दोषी करार दिया है. वहीं, तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है. दोषी पाए गए सभी पुलिसकर्मियों को जमानत रद्द कर जेल भेज दिया गया है. इस मामले में बुधवार को सजा सुनाई जा सकती है.


जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) शिवराम सिंह तरकर ने बताया, '35 वर्ष पूर्व भरतपुर में विधान सभा चुनाव के दौरान 21 फरवरी 1985 को एक घटना में डीग से स्वतंत्र चुनाव लड़ रहे राजा मानसिंह को उनके द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की चुनावी सभा के लिए तैयार किए गए मंच को अपनी जोंगा जीप से टक्कर मारकर तोड़ दिए जाने के कथित आरोप में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक कानसिंह भाटी सहित डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मियों ने घेर कर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं.'


इस घटना में राजा मानसिंह और उनके दो अन्य साथी सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी. घटना के बाद तीनों के शव जोंगा जीप में पड़े मिले थे. राजा मानसिंह के साथ उस समय मौजूद उनके दामाद एवं उनकी पुत्री दीपा कौर के पति विजय सिंह सिरोही ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई थी। उन्होंने अगले दिन इस मामले में डीएसपी कानसिंह भाटी सहित थानाध्यक्ष, निरीक्षक व उप निरीक्षक सहित 18 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. इसी दिन पुलिस ने भी राजा मानसिंह के विरुद्ध डीग थाने में पुलिस पर हमला एवं गोलीबारी करने का मामला दर्ज कराया था.


सीबीआई को सौंपी गई जांच
डीग की विधायक रहीं राजा मानसिंह की बेटी कृष्णेंद्र दीपा कौर ने बताया कि पहले इस मामले की जांच भरतपुर पुलिस को दी गई. बाद में उनकी मांग पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई. सीबीआई ने जांच के पश्चात जयपुर स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में चार्जशीट पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में मामले को मथुरा के जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया.


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