Ramcharitmanas Row: 'किसी अन्य धर्म की पुस्तक जलाई होती तो...', रामचरितमानस विवाद पर देवकीनंदन ठाकुर की आई प्रतिक्रिया
Mathura News: देवकीनंदन ठाकुर (Devkinandan Thakur) ने कहा कि श्रीरामचरितमानस को लेकर समाज में मतभेद फैलाए जा रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, रामायण सर्वजन का हित करने की शिक्षा प्रदान करती है.
Mathura News: रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Row) को लेकर अब देवकीनंदन ठाकुर का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि रामायण विवाद का विषय नहीं हैं, अपितु ज्ञान का विषय है. रामायण जोड़ने का कार्य करती है, शब्दों के भेद समझेंगे तो मन के भेद मिट जायेंगे, किसी अन्य धर्म की पुस्तक जलाई होती तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता. सनातन धर्म का धैर्य है जो विरोध का भी सम्मान से समाधान देता है.
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि श्रीरामचरितमानस को लेकर समाज में मतभेद फैलाए जा रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, रामायण सर्वजन का हित करने की शिक्षा प्रदान करती है. भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र भेद मिटाना सिखाता है. उन्होंने अपने जीवन में जो मर्यादायें स्थापित की है. वह भगवान और मानव में अंतर को भी समाप्त करने वाली हैं. तुलसीदास ने रामचरितमानस में उनके जीवन प्रसंगों का वर्णन करते हुए मानव को जीवन जीने की राह दिखायी है.
'लोग शब्दों के भेद समझेंगे तो मन के भेद मिट जाएंगे'
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि पुरातन ग्रंथों में लिखे गए प्रसंगों में शब्दों के विभिन्न अर्थ है. साहित्य में एक ही शब्द के विभिन्न अर्थो में प्रयोग हो सकते हैं. विद्वान लेखक एक ही शब्द के माध्यम से विभिन्न शिक्षाप्रद बातें कह देते है. इनका उद्देश्य कभी भी नकारात्मक नहीं होता बल्कि साहित्य सृजन के साथ ही वे शिक्षा और परस्पर प्रेस के सृजन का कार्य भी करते हैं. दुर्भाग्य से वर्तमान में स्वार्थवश कुछ लोगों द्वारा इन शब्दों और प्रसंगी का अपनी मनमर्जी से दुरुपयोग करते हुए गलत व्याख्या कर भ्रम फैलाया जा रहा है. लोग शब्दों के भेद समझेंगे तो मन के भेद मिट जाएंगे.
हजारों सालों से श्रीराम-श्रीकृष्ण सनातन धर्म के आदेश है और हिंदुओं के पूजनीय है. रामायण- गीता प्रत्येक हिंदु के सम्मानित ग्रंथ है, इन्हें भगवान का स्वरूप मानते हैं, यह जानते हुए भी कुछ लोग यदि अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाने का काम करते हैं, तो यह समाज को विघटन करने के साथ ही लोगों की भावनाओं को जानबूझकर भड़काने का काम करते हैं. ऐसे विघटनकारी उद्देश्यों पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए, अगर यही काम किसी दूसरे धर्म की पुस्तक के साथ किया जाता तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाता, लेकिन भगवान श्रीराम ने अपने विरोधी राक्षसों तक को आदर करते हुये शिक्षा प्रदान की है.
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