मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में बुधवार को अपर जिला जज एवं त्वरित अदालत में सुनवाई हुई. इस मामले में दायर वाद विचारार्थ स्वीकार करने के बारे में न्यायाधीश ने आज ही चार बजे के बाद आदेश सुनाने का निश्चय किया है.


किसी भी जिले में फरियाद कर सकता है भारतीय नागरिक
वादी पक्ष की आरे से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीशंकर जैन और अधिवक्ता विष्‍णु शंकर जैन ने बताया कि उन्होंने बाहरी व्यक्तियों की तरफ से यहां इस मसले पर याचिका दाखिल किए जाने से संबंधित सवाल पर अदालत को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 16 एवं 20 का हवाला दिया और कहा कि ये हर भारतीय नागरिक का अधिकार है कि वो कहीं भी किसी भी जिले में अपनी फरियाद कर सकता है.


मंदिर निर्माण की संकल्पना अमिट
वादी पक्ष की आरे से अधिवक्ता ने बताया कि याचिका की सुनवाई के लिए अदालत में राम मंदिर से संबंधित मामले में न्यायालय के फैसले के पैरा 116 का हवाला दिया और कहा कि मंदिर निर्माण की संकल्पना अमिट और अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. महामना मदन मोहन मालवीय और अन्य लोगों की तरफ से ली गई ये संकल्पना मंदिर निर्माण के पश्चात भी कायम है.


अवैध है समझौता
उन्होंने बुधवार की सुनवाई में श्री कृष्ण जन्मस्थान और कटरा केशवदेव परिसर में भगवान कृष्ण का भव्य मंदिर बनाए जाने से संबंधित इतिहास का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को शाही ईदगाह प्रबंधन समिति से किसी भी प्रकार का कोई हक ही नहीं था. इसलिए, उसकी तरफ से किया गया कोई भी समझौता अवैध है. जिसके साथ शाही ईदगाह निर्माण के लिए कब्जाई गई भूमि पर उसका कब्जा अनधिकृत है.


भूमि का कब्जा श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने का अनुरोध
उन्होंने कृष्ण सखी के रूप में याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री की मांग का समर्थन करते हुए संपूर्ण भूमि का कब्जा श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने का अनुरोध किया है.


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