Mathura News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा में होली का माहौल चारों तरफ दिखाई दे रहा है और यही कारण है कि बरसाना ओर नन्दगांव से शुरू हुई ब्रज की लट्ठमार होली भगवान कृष्ण के जन्मस्थान होते हुए भगवान कृष्ण के गोकुल पहुंच चुकी है. शनिवार को गोकुल में नन्द बाबा के महल से भगवान के बालस्वरूप का डोला शुरू हुआ. डोले में गोकुलवासी होली की मस्ती में मस्त होकर नाचते गाते नजर आए. कृष्ण के बालस्वरूप का ये डोला भगवान के भक्त कन्धों पर उठाकर चलते हैं. डोले में विराज होकर भगवान आए और अपने साथी-सखाओं के साथ होली खेली. साथ ही नन्द चौक पर गोकुल की महिलाएं भगवान पर प्रेम के रस से सराबोर रंग में डूबी छड़ी से वार करती हैं.


इस तरह लिया जाता है होली का आनंद
पूरे ब्रज में लट्ठमार होली खेली जाती है ओर गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन किया जाता है. यहां पर छड़ी इस लिए मारते है कि गोकुल में भगवान बाल रूप में विराजे होते हैं, इसलिए लठ की मार भगवान सहन नहीं कर सकेंगे तो गोपियां लठ की जगह पर छड़ी मारकर होली खेलती है, जिसके बाद नन्द चौक में बनाये गये भगवान के बगीचे में मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान ओर भक्तों के ऊपर टेसू के फूल से बना हुआ रंग डालकर होली का आनंद लिया जाता है.


देश ही नहीं बल्कि विदेश से आए भक्त भगवान की छड़ीमार होली को खेल कर आनंदित हो जाते हैं. यहाँ प़र इस्तेमाल होने वाला ये रंग भी बहुत ही लाभदायक होता है, क्योंकि यहाँ के लोग इस रंग को बनाने के लिए महीनों पहले से तयारी करते हैं और जब ये शरीर पर पड़ता है तो किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. ब्रज में ज्यादातर मंदिरों ओर होली में ब्रजवासी टेसू के फूल से बने रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है. 


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