UP News: कृष्ण जन्मभूमि मामले की अब 13 मार्च को सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने की एमिकस क्यूरी को हटाने की मांग
Mathura Shahi Idgah Mosque Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मथुरा के मंदिर मस्जिद मामले की डेढ़ घंटे तक सुनवाई की. मुस्लिम पक्ष की बहस चौथे दिन भी पूरी नहीं हो सकी.
Prayagraj News: मथुरा (Mathura) की श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Masjid) के बीच जमीन विवाद मामले में मुकदमों की पोषणीयता को लेकर चल रही सुनवाई आज (गुरुवार) भी पूरी नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) मामले में अब 13 मार्च को सुनवाई करेगी. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने करीब डेढ़ घंटे तक दलीलें पेश की. चौथे दिन भी मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी नहीं होने पर अदालत ने अगली तारीख तय कर दी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से आज भी चार प्रमुख बिंदुओं पर दलीलें पेश की गई. सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की तरफ से एमिकस क्यूरी यानी न्यायमित्र नियुक्त किए गए यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल को हटाए जाने की मांग की गई.
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद
मुस्लिम पक्ष की अर्जी में कहा गया है कि एमिकस क्यूरी मनीष गोयल पक्षपात कर रहे हैं. एमिकस क्यूरी की निष्पक्षता पर मुस्लिम पक्ष ने सवाल उठाए. कोर्ट को बताया गया कि मुस्लिम पक्ष की बहस पर हिंदू पक्ष के वकीलों से पहले बचाव में एमिकस क्यूरी खड़े हो जाते हैं. अर्जी में आगे कहा गया है कि मनीष गोयल यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हैं. सरकार की मंशा और निर्देशों के मुताबिक कोर्ट में दलीलें पेश करते हैं. ऐसे में निष्पक्षता पर कैसे भरोसा किया जा सकता है.
अब अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी
मुस्लिम पक्ष की अर्जी में मनीष गोयल को हटाकर दूसरे वकील को एमिकस क्यूरी बनाए जाने की मांग की गई है. हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी का विरोध करते हुए एतराज जताया है. अदालत ने अभी मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई नहीं की है. उम्मीद जताई जा रही है कि पोषणीयता पर फैसला आने के बाद अदालत मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करेगी. हिंदू पक्ष के वकील सौरभ तिवारी ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने डेढ़ घंटे तक सुनवाई की.
मुस्लिम पक्ष ने डेढ़ घंटे तक दी दलील
आज की सुनवाई में भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की वकील तसनीम अहमदी ने दलीलें दी. मुस्लिम पक्ष की वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ीं. तसनीम अहमदी ने मुकदमों की पोषणीयता को लेकर चार प्रमुख दलीलें पेश की. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि मथुरा मामले पर दाखिल किए गए मुकदमे 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट से बाधित हैं. इस एक्ट की वजह से मुकदमों की सुनवाई नहीं हो सकती. दूसरी दलील लिमिटेशन एक्ट को लेकर दी गई.
मुकदमों की पोषणीयता पर सुनवाई
कोर्ट में कहा गया कि मंदिर पक्ष और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 1968 में समझौता हो चुका है. समझौते के तहत ही शाही ईदगाह मस्जिद को 13.37 एकड़ जमीन मिली हुई है. इस समझौते की डिक्री भी 1973 में मथुरा की अदालत में हो चुकी है. नियम कहता है कि समझौते और डिक्री को 3 साल के अंदर ही चुनौती दी जा सकते थी. अब 50 साल बाद मुकदमा दाखिल करने की कोई कानूनी वैधता नहीं है. आगे कहा गया कि शाही ईदगाह मस्जिद वक्फ प्रॉपर्टी है.
वक्फ प्रॉपर्टी होने की वजह से मामला वक्फ ट्रिब्यूनल में ही चल सकता है. चौथी दलील में हिंदू पक्ष के पास कब्जा नहीं होने की बात कही गई. इसलिए मामला स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट से भी बाधित है. मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से इन्हीं चार दलीलों के आधार पर अपनी बातों को रखा है. 13 मार्च को होने वाली सुनवाई में सबसे पहले मुस्लिम पक्ष बहस को पूरा करेगा. दलील पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष को बहस करने का मौका मिलेगा.
उम्मीद जताई जा रही है कि हिंदू पक्ष भी दो से तीन दिनों की सुनवाई में दलीलें खत्म करेगा. सभी पक्षों की बहस खत्म होने के बाद ही पोषणीयता पर अदालत का फैसला आएगा. मथुरा के मंदिर में मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल किए गए डेढ़ दर्जन मुकदमों की सुनवाई अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीधे तौर पर हो रही है.