(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Krishna Janmabhoomi: मथुरा की शाही ईदगाह सर्वे मामले में आज हाई कोर्ट में सुनवाई, एडवोकेट कमिश्नर की हो सकती है नियुक्ति
Mathura Krishna Janmabhoomi Case: श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगाह विवाद मामले में आज (18 दिसंबर) इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी, कोर्ट आज सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सकता है.
Mathura Krishna Janmabhoomi Case: श्री कृष्ण जन्म स्थान और शाही ईदगाह विवाद (Shahi Idgah Mosque) मामले में आज (सोमवार 18 दिसंबर) इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में अहम सुनवाई होनी है आज कोर्ट शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे को लेकर सुनवाई करेगा, जिसमें कोर्ट मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे (ASI Survey) और इस सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सकता है. इसके साथ ही विवादित परिसर का सर्वे की प्रक्रिया क्या होगी, एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा और सर्वे कब तक शुरू किया जाएगा इस पर भी सुनवाई होगी.
इससे पहले 14 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराये जाने और इसके लिए अदालत की निगरानी में एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग को स्वीकार कर लिया था. जिसके बाद अब ज्ञानवापी परिसर की तरह शाही ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे कराया जाएगा.
कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए जाने वाले सर्वेक्षण की रूपरेखा तय करेगी. कोर्ट में हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों के वकीर मौजूद रहेंगे. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी. आज ही ये तय होगा कि एडवोकेट कमिश्नर कौन तय होगा और सर्वेक्षण कब से शुरू होगा. सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे और पूरे सर्वेक्षण का स्वरूप क्या होगा.
जानें क्या है मामला?
दरअसल ये पूरा मामला श्री कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह परिसर की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है. इसमें करीब 11 एकड़ की ज़मीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर बना हुआ है और 2.37 एकड़ जमनी पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वो कंस की कारागार हुआ करती थी, जहां श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. हिन्दू पक्ष पूरी ज़मीन पर दावा करता है वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1968 में हुए समझौते में ये भूमि मस्जिद के लिए दी गई थी.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए 1968 के समझौते को नहीं मानता है. मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासन काल में कई मंदिरों को तोड़ा था, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर भी शामिल है. मस्जिद में मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं.