Mahthura News Today: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी जगहों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार (28 नवंबर) को सुनवाई हुई. हालांकि आज की सुनवाई में मेरिट पर कोई बहस नहीं हुई. मामले की अगली सुनवाई अब चार दिसंबर को होगी.
आज यानी गुरुवार को हुई सुनवाई में हिंदू पक्षकार शाकुंभरी पीठाधीश्वर भृगुवंशी आशुतोष पांडेय ने एक अर्जी दाखिल की है. आशुतोष पांडेय की इस अर्जी में विवादित परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराकर सर्वे कराए जाने की मांग की गई है.
ईदगाह कमेटी ने मांगी अगली डेट
वादी ने हाईकोर्ट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सर्वे कराने की गुहार लगाई गई है. अर्जी में दावा किया गया है कि विवादित जगह पर पहले मंदिर था. कुछ समय पहले तक वहां पूजा अर्चना होती थी और मूर्तियां रखी हुई थी. अब वहां से मूर्तियां भी हटा दी गई हैं, लेकिन सनातन मान्यताओं के अवशेष अब भी वहां पर मौजूद हैं.
अर्जी में कहा गया हैं कि ऐसे में उस जगह का विशेषज्ञ टीम से सर्वे करा कर उसके रिकॉर्ड सुरक्षित किए जाने चाहिए. मंदिर मस्जिद विवाद में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में आज हियरिंग का हवाला देकर सुनवाई स्थगित किए जाने की अपील की है.
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की वकील तसनीम अहमदी ने अदालत से प्रार्थना की थी. हाईकोर्ट ने उनकी प्रार्थना मंजूर करते हुए सुनवाई के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय की है.
आशुतोष पांडेय ने की ये मांग
भृगुवंशी आशुतोष पांडेय की तरफ से दाखिल की गई अर्जी पर भी अब 4 दिसंबर को ही सुनवाई होगी. आशुतोष पांडेय की अर्जी में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की निगरानी में सर्वे को जरूरी बताया है. इसमें कहा गया है कि विवादित स्थल का रिलिजियस कैरेक्टर निर्धारित करने के लिए सर्वे बेहद जरूरी है.
गुरुवार की सुनवाई में कुछ पक्षकारों की तरफ से मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर भी सवाल उठाए गए और कोर्ट से इस बारे में शिकायत की गई. इस शिकायत के बाद कोर्ट ने इस मामले में मीडिया से तथ्यों के आधार पर ही रिपोर्टिंग करने को कहा है.
हिंदू पक्ष ने मीडिया को दी चेतावनी
हिंदू पक्षकार के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के मुताबिक, कोर्ट ने कहा है कि अगर इस संवेदनशील मामले में गलत रिपोर्टिंग की गई तो संबंधित संस्थाओं और मीडिया कर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाएगी. मामले की सुनवाई जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच के समक्ष हुई.
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