Mathura Masjid Case:  इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को मथुरा विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो और याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित किया. अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में दलीलें पेश की. ऐतिहासिक दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि औरंगजेब ने 1670 में कृष्ण जन्मभूमि को तहस नहस कर दिया था.


विग्रह को आगरा ले जाकर जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया था. अधिवक्ता ने कोर्ट कमिश्नर भेजे जाने और आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया से सर्वे कराए जाने की मांग की. कोर्ट कमिश्नर द्वारा मौके पर जाकर वीडियो ग्राफी और फोटोग्राफी कराए जाने की मांग की गई है.


कोर्ट ने सूट नंबर तीन और सूट नंबर 13 पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व किया. सूट नंबर तीन में औरंगजेब द्वारा विग्रह ले जाने के मामले में कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पुस्तकें दाखिल की गई हैं. शाही मस्जिद की सीढियों से विग्रह निकालकर जन्मभूमि परिसर भेजने की मांग की गई है.


शाही मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे विग्रह दबे होने से हिंदू आस्था का अपमान हो रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या जन्मभूमि विवाद की तर्ज पर मथुरा विवाद का ट्रायल हो रहा है.  दो और याचिकाएं आने से कुल 18 याचिकाओं पर हाईकोर्ट सुनवाई में चल रही है. 


जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई.इससे पहले मथुरा के विवादित परिसर के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर भी कोर्ट फैसला सुरक्षित कर चुकी है. उस अर्जी पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित किया था. 


जिला कोर्ट में चल रहे सभी केसों की पत्रावली भी तलब
याचिकाओं में दावा किया गया है कि जिस जगह शाही ईदगाह मस्जिद है, वहां पहले मंदिर था. इसलिए विवादित जगह हिंदुओं को सौंप कर उन्हें वहां पूजा पाठ की इजाजत दी जाए. जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की सिंगल बेंच ने 26 मई 2023 को फैसला सुनाया था.मथुरा जमीन विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई का फैसला सुनाया था.


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हाईकोर्ट ने मथुरा जिला कोर्ट में चल रहे सभी केसों की पत्रावली भी तलब कर ली थी. हाईकोर्ट में लीडिंग सूट भगवान श्री कृष्ण विराजमान कटरा केशव देव के नाम से रंजना अग्निहोत्री की ओर से दाखिल की गई है.


याचिकाओं में 12 अक्टूबर 1968 को हुए समझौते को अवैध बताया गया है. इसके साथ ही समझौते के तहत शाही ईदगाह मस्जिद को दी गई 13.37 एकड़ जमीन भगवान श्री कृष्ण विराजमान को दिए जाने की मांग की गई है. अवैध रूप से बनी शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाए जाने की मांग की गई है.


अर्जियों में कुल चार पक्षकार बनाए गए हैं. शाही ईदगाह मस्जिद, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और श्री कृष्ण जन्मभूमि संघ को पक्षकार बनाया गया है.