Mathura News: कथावाचक देवकीनंदन महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में अल्पसंख्यक कानून को दी चुनौती, जानें- याचिका में हिंदुओं के लिए क्या की गई मांग
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने अल्पसंख्यक कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने याचिका में 9 राज्यों में हिंदुओं की घटना आबादी की तरफ ध्यान दिलाया है.
UP News: धर्मगुरू देवकीनंदन ठाकुर (Devkinandan Thakurji) जी महाराज ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (National minority commission act) की धारा 2सी की वैधता को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या, धार्मिक एवं भाषाई आधार पर अल्पसंख्यक माने गए समुदाय को विशेष अधिकार दिया गया है जबकि देश के विभिन्न राज्यों एवं जिलों में आबादी कम होने के बावजूद हिंदुओं को ऐसे अधिकारों से वंचित रखा गया है जो कि संविधान की मूल भावना के विपरीत है. देकीनंदन महाराज ने याचिका में राज्यों के साथ जिलेवार अल्पसंख्यकों के निर्धारण की मांग रखी है.
'संख्या कम होने पर भी हिंदुओं को नहीं मिली अल्पसंख्यक की मान्यता'
सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को दायर याचिका में अल्पसंख्यक अधिनियम कानून को संविधान के अनुच्छेद 14,15,21,29 और 30 के विपरीत बताया है. याचिका में कहा गया है कि 1992 में अधिनियम के प्रभाव में आने पर बेलगाम शक्ति का उपयोग करके केंद्र ने मनमाने ढंग से मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी आदि 5 समुदायों को अधिसूचित किया है. जबकि हिंदू धर्म के अनुयायी जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय,अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, मणिपुर में वास्तव में अल्पसंख्यक हैं, वे राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक पहचान न मिलने कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन नहीं कर सकते हैं.
प्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन महाराज ने अलग-अलग राज्यों में हिंदुओं की संख्या को लेकर आंकड़े पेश किए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं लेकिन फिर भी वे अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते जबकि संविधान अल्पसंख्यकों को यह अधिकार देता है.
यहां हिंदु हो गए अल्पसंख्यक
याचिका में कहा गया है कि लद्दाख में 1 प्रतिशत, मिजोरम में 2.75 फीसदी, लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नागालैंड में 8.74 फीसदी, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 29 फीसदी, पंजाब में 38.49 फीसदी और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिंदू हैं. सरकार ने उन्हें एनसीएम अधिनियम की धारा 2 (सी) और एनसीएमईआई अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया है. यहां हिंदू अनुच्छेद 29-30 के तहत संरक्षित नहीं हैं और अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना-प्रशासन नहीं कर सकते.
दूसरी ओर, लक्षद्वीप में 96.58 प्रतिशत, कश्मीर में 95 प्रतिशत, लद्दाख में 46 प्रतिशत मुस्लिम हैं लेकिन अधिनियम के तहत केंद्र ने मनमाने ढंग से मुसलमानों को अल्पसंख्यक घोषित किया है. इसी तरह ईसाइयों को भी अल्पसंख्यक घोषित किया गया है, जबकि नागालैंड में 88.10 प्रतिशत, मिजोरम में 87.16 प्रतिशत, मेघालय में 74.59 प्रतिशत ईसाई निवास करते हैं. पंजाब में सिख 57.69 प्रतिशत हैं और लद्दाख में बौद्ध 50 प्रतिशत हैं यह भी अल्पसंख्यक माने गए हैं. ये समुदाय अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना एवं संचालन कर सकते हैं लेकिन हिंदुओं को यह अधिकार नहीं हैं.
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