Krishna Janmabhoomi: मथुरा में शाही जामा मस्जिद की जगह पहले मंदिर था, औरंगजेब ने इसे तोड़ा, RTI रिपोर्ट में दावा
Mathura News: मथुरा के शाही ईदगाह को लेकर अब आरटीआई में एक खुलासा हुआ है. इस खुलासे के पीछे अंग्रेजी हुकूमत के समय के गजट नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया है.

UP News: मथुरा (Mathura) की शाही जामा मस्जिद (Jama Masjid) को लेकर एक बड़ा दावा किया गया है. यह दावा आईटीआई एक्टिविस्ट अजय प्रताप सिंह (Ajay Pratap Singh) ने किया है. उनका कहना है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) के पास बनी शाही जामा मस्जिद की जगह पहले मंदिर था. यह जानकारी आरटीआई के तहत आई है. आरटीआई के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि उस जगह पहले कटरा केशव देव मंदिर हुआ करता था जिसे बाद में औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर मस्जिद के रूप में प्रयोग में लाया गया.
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय प्रताप सिंह ने सूचना के अधिकार के जरिए पुरातत्व विभाग से मथुरा की शाही जामा मस्जिद की जानकारी मांगी थी. प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरातत्व विभाग ने जवाब दिया कि शाही जामा मस्जिद की जगह कटरा केशव देव मंदिर था. आरटीआई से मिली सूचना में जिसे ब्रिटिश हुकूमत काल के गजट 1920 का हवाला दिया गया है. यह दावा निकल कर आया है कि मथुरा की शाही जामा मस्जिद के स्थान पर कटरा केशव देव मंदिर था जिसे औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था.
अजय प्रताप सिंह ने बताया कि हमने एएसआई से जानकारी मांगी थी कि शाही जामा मस्जिद को लेकर जानकारी दी जाए. 1920 में ब्रिटिश हुकूमत में शाही जामा मस्जिद को संरक्षित कर दिया था. हम इसे सबूत के तौर पर रखेंगे. हमारा मामला हाई कोर्ट में चल रहा है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी थी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, सभी पक्षों के अनुरोध पर इसे अप्रैल 2024 में फिर से सूचीबद्ध करें. इस बीच, पार्टियां दलीलें पूरी कर लेंगी. पीठ ने पक्षों से प्रत्येक मामले में तीन पेज की लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था. पक्ष सुप्रीम कोर्ट के दूसरे केसों का हवाला दे सकते हैं. इसके अलावा, इसने आदेश दिया: अंतरिम आदेश, जहां भी दिए गए हों, लिस्टिंग की अगली तारीख तक जारी रह सकते हैं. 16 जनवरी को पारित एक अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित स्थल के निरीक्षण के लिए आयुक्त की नियुक्ति के लिए हिंदू भक्तों के आवेदन को अनुमति देने के खिलाफ शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका पर आयोग के कार्यान्वयन को रोक दिया था. हालांकि, इसने स्पष्ट किया था कि हाई कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमे की कार्यवाही जारी रह सकती है.
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