साधु-संत बोले यमुना में शाही स्नान के बाद 3 दिनों तक शरीर से नहीं गई बदबू, काले हो गए वस्त्र, कार्रवाई करे सरकार
मथुरा में पहले शाही स्नान के दौरान यमुना नदी में कीचड़ ऊपर आ गई थी. साधु-संतों ने कीचड़ में ही स्नान किया था. साधु-संतों ने बताया कि 3 दिन तक उनके शरीर से बदबू नहीं गई. सरकार से कार्रवाई की मांग की है.
मथुरा: वृंदावन में कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक का 27 फरवरी को पहला शाही स्नान हुआ था. इस दौरान यमुना नदी में से कीचड़ ऊपर आ गई थी. साधु-संतों ने कीचड़ में ही शाही स्नान किया था जिसे लेकर साधु-संतों में शासन, प्रशासन और अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश था. कुछ साधु-संत तो बिना स्नान किए ही वापस लौट गए थे.
निशाने पर प्रदूषण अधिकारी साधु-संतों ने प्रदूषण अधिकारी अरविंद कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक अधिकारी ने यमुना का जल लिया और उसे पीने और आचमन योग्य बताया. योगी सरकार को बदनाम करने की पूरी साजिश की गई. आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है. साधु-संतों को गंदे पानी में शाही स्नान कराया गया, ये निंदा के योग्य है. जिस अधिकारी ने इस तरीके का कृत्य किया है उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. संतों ने कहा कि अधिकारी और सरकार के लोग यमुना में पहले डुबकी लगाकर, इसके बाद ही हमें दूसरा शाही स्नान कराएं.
3 दिन तक शरीर से बदबू नहीं गई साधु-संतों ने प्रशासन और सरकार से ये मांग भी की है कि 9 मार्च को होने वाले दूसरे शाही स्नान से पूर्व यमुना का जल स्वच्छ और निर्मल हो. ताकि कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक की दिव्यता और भव्यता बनी रहे. साथ ही शुद्ध जल में साधु-संत और श्रद्धालु शाही स्नान कर सकें. साधु-संतों ने बताया कि 3 दिन तक उनके शरीर से बदबू नहीं गई और जिन साधु-संतों ने श्वेत वस्त्र पहन कर स्नान किया था उनके वस्त्र काले हो गए. सरकार को गुमराह किया गया है और हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है.
अपनी बात पर अडिग हैं अधिकारी बड़ा सवाल ये भी है कि जब दिल्ली से लेकर मथुरा तक बड़ी मात्रा में गंदे नालों का पानी यमुना में जा रहा है तो प्रदूषण अधिकारी ने उसका सैंपल लिया और उसे आचमन योग्य कैसे बता दिया. प्रदूषण अधिकारी अपनी बात पर अडिग हैं. उनका कहना है कि यमुना में जो नीचे गंदगी दबी हुई थी, वो साधु-संतों के शाही स्नान के दौरान ऊपर आ गई, हमने सैंपल लिए थे उस वक्त पानी पीने योग्य था.
सवाल तो कई हैं तमाम सवाल और भी हैं जिनके जवाब मिलने चाहिए. गंदे पानी में साधु-संतों को शाही स्नान कराना कितना सही है, धार्मिक भावनाओं को आहत करना क्या ठीक है, अगर यमुना का जल शुद्ध नहीं था तो क्या शाही स्नान कराना जरूरी था, उसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था पहले से क्यों नहीं की गई. अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती है कि दूसरे शाही स्नान से पूर्व साधु-संतों के लिए यमुना के जल को स्वच्छ और निर्मल कैसे बनाया जाए.
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