UP News: उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) की श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Eidgah Masjid) के बीच चल रहे जमीन विवाद से जुड़े मुकदमों का ट्रायल जल्द ही इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में शुरू हो सकता है. मुकदमों की सुनवाई अयोध्या की राम जन्मभूमि विवाद (Ram Janmabhoomi Case) की तर्ज पर जिला अदालत के बजाय सीधे तौर पर हाईकोर्ट में ही होगी. हाईकोर्ट इसके लिए पहले ही मंजूरी दे चुका है. वहीं हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई मुस्लिम पक्ष की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई है.


हिंदू पक्ष ने मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू किए जाने और सुनवाई के लिए लार्जर बेंच गठित किए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर को अर्जी भेजी है. पांच दिनों की छुट्टियों की वजह से अर्जी फिलहाल डिजिटल मोड में ई-मेल के जरिए भेजी गई है. मंगलवार को कोर्ट खुलने के बाद हार्ड कॉपी चीफ जस्टिस को दी जाएगी. यह अर्जी हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और प्रभाष पांडेय की तरफ से दी गई है.


जिला अदालत में लगभग डेढ़ दर्जन मुकदमे पेंडिंग


मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन विवाद को लेकर वहां की जिला अदालत में तकरीबन डेढ़ दर्जन मुकदमे पेंडिंग हैं. लार्जर बेंच गठित कर जल्द सुनवाई शुरू किए जाने की मांग को लेकर चीफ जस्टिस को दी गई हिंदू पक्ष की अर्जी में कहा गया है कि यह मामला न सिर्फ संवेदनशील बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस मामले का निपटारा जल्द होना चाहिए.


निचली यानी मथुरा की अदालत में सुनवाई के बाद मामला फिर से हाईकोर्ट आएगा. ऐसे में निपटारा होने में कई सालों का लंबा वक्त लग सकता है. इसकी वजह से अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद की तर्ज पर इस मामले को भी जिला अदालत के बजाय सीधे तौर पर हाईकोर्ट में ही सुना जाना चाहिए, ताकि फैसला जल्द आ सके. हिंदू पक्ष की इस अर्जी पर चीफ जस्टिस को फैसला लेना है.


26 मई को ही फैसला दे चुकी है कोर्ट


वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा की सिंगल बेंच 26 मई को ही इस बारे में अपना फैसला दे चुकी है. इस फैसले में साफ तौर पर कहा गया था कि मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमों को हाईकोर्ट ही सीधे तौर पर सुनेगा. अदालत ने सभी मुकदमों को आपस में क्लब कर एक साथ सुनवाई किए जाने का आदेश दिया था.


हाईकोर्ट ने निचली अदालत से सभी रिकॉर्ड भी तलब कर लिए थे. मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में सीधे तौर पर एक साथ सुनवाई किए जाने के आदेश पर रोक नहीं लगाई थी. चीफ जस्टिस को भेजी गई हिंदू पक्ष की अर्जी में इसे भी आधार बनाया गया है.


क्या है पूरा विवाद?


गौरतलब है कि मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 13. 37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है. हिंदू पक्ष का दावा है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि के बगल स्थित शाही ईदगाह मस्जिद पहले मंदिर था. मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था. ऐसे में यह जगह हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए और उन्हें वहां पूजा अर्चना का अधिकार दिया जाना चाहिए. उम्मीद जताई जा रही है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर जल्द ही हिंदू पक्ष की इस अर्जी पर फैसला लेकर लार्जर बेंच गठित करेंगे और अगले महीने से सुनवाई शुरू हो सकेगी.


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