श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में 8 मार्च को होगी अगली सुनवाई, जानें- क्या है मामला
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह से संबंधित जमीन विवाद को लेकर चौथा दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया गया है. कोर्ट ने 8 मार्च सुनवाई की अगली तारीख दी है.
मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में शनिवार को एडीजे-6 की अदालत में सुनवाई हुई. केशव देव मंदिर के सेवायत पवन शास्त्री के वाद को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. जिसमे कोर्ट ने 8 मार्च सुनवाई की अगली तारीख दी है. केशव देव कटरा मंदिर के सेवायत पवन शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराकर शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग रखी है.
जमीन का मालिकाना हक मांगा गया श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह से संबंधित जमीन विवाद को लेकर चौथा दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया गया था. इसमें भी 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है. ये दावा ठाकुर केशव देव महाराज विराजमान मंदिर कटरा केशव देव के सेवायत ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया था.
वाद को स्वीकार कर लिया गया सिविल जज सीनियर डिवीजन के छुट्टी पर होने के चलते सुनवाई को एडीजे -6 की अदालत में भेज दिया था. शनिवार को एडीजे-6 की अदालत में सुनवाई के बाद वाद को स्वीकार कर लिया गया और सुनवाई की अगली तारीख 8 मार्च दे दी गई.
इन्हें बनाया गया है प्रतिवादी दावा दाखिल करने वाले पवन कुमार शास्त्री मलपुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान के निकट के रहने वाले हैं. 24 दिन में एक दिन उनकी ठाकुर केशव देव मंदिर में सेवा आती है. उनकी की ओर से दाखिल दावे में इंतजामियां कमेटी शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट मथुरा के प्रबंधक, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है.
अदालत में रखा गया इतिहास वादी के अधिवक्ता आरएस भारद्वाज ने बताया कि पवन कुमार शास्त्री की तरफ से अदालत से 13.37 एकड़ भूमि को ठाकुर केशव देव को देने की मांग की गई है. अदालत में उनकी तरफ से शुरू से लेकर आखिर तक का इतिहास रखा गया है. इससे पहले अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, महेंद्र प्रताप सिंह और हिंदू आर्मी इस मामले को लेकर अदालत में दावा पेश कर चुके हैं.
ये है मामला सबसे पहले अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री की ओर से दावा दाखिल किया गया था. इसमें कहा गया कि शाही मस्जिद ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन पर बनी है. वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच समझौता हुआ था. जबकि, जिस जमीन का समझौता हुआ वो श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की है. ऐसे में समझौता अवैध है और उसे रद्द कर पूरी 13.37 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दी जाए. इस मामले के साथ 3 ओर वादों पर अदालत में सुनवाई चल रही है.
ये है मकसद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर कोर्ट में चार वाद दायर हो चुके हैं. सभी वादियों का उद्देश्य शाही ईदगाह मस्जिद को जन्मभूमि से हटाकर श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.3 7 एकड़ भूमि को मुक्त कराना है.
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