मथुरा. कबाड़ से कूड़ा उठाने वाली मशीन का आविष्कार कर सुर्खियां बटोरने वाले सिकांतो मंडल के लिए आज आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. सिकांतो बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण पिताजी का रिक्शा चलाना बंद होग या था. घर में दाने-दाने के लिए हम मोहताज थे. समाजसेवियों के ओर से बांटे गए खाने से किसी तरह दिन गुजारे. अब जब अनलॉक हुआ है तो पिताजी एक लोहे की फैक्ट्री में मजदूरी कर घर चला रहे हैं, लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति जस की तस बनी हुई है. मैं अपने स्कूल की फीस तक नहीं भर पा रहा हूं. मैं बीएससी सेकंड ईयर कर रहा हूं. मुझे आगे पढ़ना है. मुझे पैसों की जरूरत है. मेरे माता-पिता मेरी फीस भरने में भी असमर्थ हैं.
आविष्कार के लिए मिला था राष्ट्रीय पुरस्कार
रिक्शा चालक के बेटे सिकांतो मंडल ने साल 2016 में स्वच्छता कार्ट के बदौलत सुर्खियां बटोरी थी. उसने साइकिल के कबाड़ से एक मशीन बनाई, जो स्कूल में सभी को पसंद आई. इसके बाद शिक्षकों की सहायता से सिकांतो ने अपने आइडिया को इंस्पायर्ड अवॉर्ड मानक में भेजा, जहां सिकांतो के मॉडल को सिलेक्ट कर लिया गया और वहां से मशीन बनाने के लिए सिकांतो के खाते में 5 हजारों रुपए भेजे गए. स्टेट एवं नेशनल लेवल की प्रदर्शनी में भी सिकांतो के मॉडल को जगह मिली. इस बीच सिकांतो ने अपनी मोबाइल गार्बेज कलेक्टिंग डिवाइस को 2017 में पेटेंट भी करा लिया.
इस आविष्कार के लिए सिकांतो को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. सिकांतो राष्ट्रपति भवन में 3 दिन तक बतौर मेहमान भी रहा. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सामने भी उसे प्रेजेंटेशन करने का मौका मिला, लेकिन आज उसका परिवार बदहाली में जी रहा है.
जापान भी जा चुका है सिकांतो
2016 में दिल्ली में आयोजित नेशनल लेवल की प्रदर्शनी में देश के कोने-कोने से एक हजार बच्चे पहुंचे थे. एक हजार बच्चों में 60 बच्चों के मॉडल को चयनित किया गया, जिसमें सिकांतो का मॉडल भी था. प्रदर्शनी के दौरान नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया प्राइवेट नाम की संस्था ने सिकांतो के मॉडल को पसंद किया. इसके बाद सिकांतो को एक कंपनी ने इस मशीन को बनाने के लिए एक लाख रुपए भी दिए. मशीन का सिलेक्शन होने के बाद सिकांतो को जापान भी भेजा गया. यहां सिकांतो को जापान की टेक्नोलॉजी से रूबरू कराया गया.
अक्षय कुमार से भी मिली आर्थिक मदद
अक्षय कुमार की पैडमैन मूवी के गाने 'साले सपने' की रिलीज के समय भी सिकांतो को सर्वश्रेष्ठ मॉडल के लिए बुलाया गया था. इस दौरान अक्षय कुमार ने भी सिकांतो को 5 लाख रुपये दिए थे. इतना सब होने के बाद भी आज सिकांतो की जिंदगी गरीबी और बदहाली में गुजर रही है. पिता एक लोहे की फैक्ट्री में मजदूरी कर घर का गुजर-बसर कर रहे हैं. सिकांतो पढ़कर वैज्ञानिक बनना चाहता है, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह अपने स्कूल की फीस भरने में भी असमर्थ है.
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