हरिद्वार, एबीपी गंगा। धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा जल की स्वच्छता अविरलता और निर्मलता को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। एक ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार में दिए अपने बयान में गंगा जल को पवित्र और पीने लायक शुद्ध बताया है तो वहीं पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से गंगा की अवरिलता और शुद्धि के लिए अनशन करने वाली व गंगा के लिए कई बार अपने संतो के प्राण तक नियोछवार कर देने वाली संस्था मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए उन्हें गंगा जल पीने की चुनौती दे डाली है।


गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए 6 सूत्रीय मांगो को लेकर हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम मे साध्वी पद्मावती पिछली 15 दिसंबर से अनशन पर हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार गुरुकुल विश्विद्यालय में एक बयान में गंगा जल को पवित्र और पीने योग्य बताते हुए साध्वी के तप को निर्रथक बताया था। सीएम ने कहा था कि उत्तराखंड में गंगा पवित्र और अविरल है इनके लिए किसी साधु संत को अनशन करने की आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड की धरती अनशन के लिए नहीं है यहां साधुओं को अनशन नहीं पूजा पाठ करना चाहिए।


वहीं, सीएम के इस बयान पर मातृ सदन के परमाध्यक्ष शिवानंद ने पलटवार करते हुए कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री नास्तिक हैं वह तप की गरिमा को नहीं समझते हैं और साधु संतों को उपदेश देते हैं। गंगा पर जगह-जगह बांध बना दिये गए हैं मुख्यमंत्री द्वारा गंगा को अविरल बताना मूर्खता की पराकाष्ठा है। उत्तराखंड सरकार गंगा स्वछता के लिए कुछ नहीं कर रही है यदि मुख्यमंत्री गंगा जल को इतना ही पवित्र मानते हैं तो वो हरिद्वार में आकर बोतल का पानी क्यों पीते हैं उनको हरिद्वार आकर हर की पौड़ी का गंगाजल पीना चाहिए। स्वामी शिवानंद ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के कार्यकाल में मातृ सदन से गंगा की निर्मलता स्वच्छता और अविरलता के लिए अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ऊर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल जैसे विद्वान तपस्वी और त्यागी साधु की हत्या हुई है।


गंगा की स्वच्छता निर्मलता और अविरलता के लिए एक बार फिर मातृ सदन में अनशन की राह पकड़ी है वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में साधुओं को अनशन ना करके पूजा पाठ करने की हिदायत दी है। गंगा को लेकर अनशन वार पलटवार का दौर तो दशकों से चला आ रहा है और सरकार के गंगा को स्वच्छ करने के लाभ दावों के बाद भी गंगा आज तक स्वच्छ नहीं हो पाई है अब आने वाले समय में देखने वाली बात यह होगी कि गंगा की जमीनी स्तर पर दशा और तस्वीर कब तक बदलती है।