प्रयागराज: यूपी में इस बार मुहर्रम पर ताजिया के जुलूस नहीं निकल सकेंगे. इसके साथ ही पांच से दस लोग भी ताजिया दफनाने के लिए कर्बला तक नहीं जा सकेंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बारे में अनुमति देने से इनकार करते हुए सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है.


हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में साफ़ तौर पर कहा है कि ताजिया दफनाना मुहर्रम पर अदा की जाने वाली रस्मों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. सभी को इस रस्म को अदा करने का पूरा अधिकार है, लेकिन कोरोना की महामारी के चलते अदालत इस वक़्त लोगों को घरों से बाहर निकलने और भीड़ जुटाने की इजाज़त नहीं दे सकती.


मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि दाखिल की गई अर्जियों को वह भारी मन से खारिज कर रहे हैं. अर्जियों को भारी मन से खारिज करने की टिप्पणी बेहद अहम है.


अदालत ने साफ़ किया है कि यूपी में पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढे हैं और संक्रमितों की संख्या को लेकर यह राज्य देश में चौथे नंबर पर आ गया है. अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि यूपी के लोग इन दिनों ऐसे समुद्र के किनारे खड़े होने जैसी हालत में हैं, जहां इस बात का अंदाजा नहीं है कि कोरोना की लहर कब अपने साथ बहाकर गहरे पानी में डुबो देगी. ऐसे में हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी.


अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सामान्य दिनों में ताज़िया दफ़न करने की इजाज़त मांगना कतई गलत नहीं है, लेकिन महामारी के मुश्किल वक्त में इस तरह की मांग को मंजूर नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, ऐसे में हम यह विश्वास कर सकते हैं ईश्वर ही हमें आने वाले दिनों में परम्पराओं के साथ धार्मिक आयोजनों को करने का मौका ज़रूर मुहैया कराएंगे.


अदालत के फैसले के मुताबिक़ मुहर्रम पर ताजिया दफनाने की मांग का उड़ीसा की जगन्नाथ रथ यात्रा और जैन मंदिर में पर्यूषण प्रार्थना से कोई सरोकार नहीं हैं. रथयात्रा का आयोजन सिर्फ एक जगह पर कुछ निश्चित दूरी के लिए होना था, लेकिन इन अर्जियों में किसी ख़ास स्थान के बजाय पूरे यूपी के लिए मांग की गई है. छूट मिलने पर कितने लोग सड़कों पर आकर भीड़ लगा लेंगे, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.


अदालत ने यह भी कहा है कि गणेश उत्सव पर पंडाल और जन्माष्टमी पर झांकी सजाने पर भी सरकार की रोक थी. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता सरकार धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है. ताजिया दफनाने की परमिशन दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई थीं, जिन पर आज जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमशाद अहमद की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया.


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