Mau Flood News: जनपद मऊ के मधुबन विधानसभा क्षेत्र का देवरांचल ईलाका में इस समय बाढ़ की विभीषिका से प्रभावित है. ग्राम सभा धर्मपुर विशुनपुर का इलाका बिनटोलिया जहां कभी लगभग 300 घरों की आबादी थी. आज बाढ़ के कारण यहां से लगभग 250 घर बाढ़ की चपेट एवं कटाव होने के कारण पानी में समाहित हो गए. जिसके कारण यहां रहने वाले लोग दूसरी जगह विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए.जब भी बारिश का मौसम आता है. यहां के लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़ जाती हैं.
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में हर वर्ष सैकड़ों एकड़ जमीन,सरयू नदी की तेज धारा में समाहित हो जाती है.कटाव के कारण यहां पर रहने वाले लोग एक तरफ जहां बेघर हो जाते हैं. वहीं उनकी कृषि योग्य भूमि नदी में विलीन होने के कारण यह लोग भूमि से भी बंचित हो जाते हैं. परंतु जैसे ही बाढ़ का पानी कम होता है. यह लोग पुनः अपना नया आशियाना एवं जमीन को कृषि योग्य बनाने में जुट जाते हैं. इस प्रकार देखा जाए तो यहां के लोगों का जीवन दुश्वारियों से भरा हुआ है,यह लोग हर वर्ष अपने जीवन की नई शुरुआत करते हैं. वहीं इनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी समुचित ढंग से नहीं हो पाती है.
शासन द्वारा हर साल लाखों रुपया बह जाता है पानी में
इस क्षेत्र के लिए बाढ़ आने पर शासन द्वारा मदद करने का प्रयास तो जरूर किया जाता है, लेकिन जब तक मदद पहुंचती सैकड़ों लोग बाढ़ एवं कटान की चपेट में आने से इनका जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. रास्ते में पानी होने के कारण जहां एक तरफ बच्चे स्कूल नहीं जा पाते वहीं लोगों को खाने तक के लाले पड़ जाते हैं. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि मदद के नाम पर राशन तो दिया जाता है. लेकिन यदि बाढ़ आने से पहले ही नदी के कटान क्षेत्र में पत्थर का ठोकर एवं समय रहते बाढ़ से बचाव के लिए समुचित कदम उठाया जाता तो हालत इतनी खराब नहीं होती.
सरकार का करोड़ों रुपये पानी में बह जाता है
वहीं बाढ़ आने के बाद शासन द्वारा राहत एवं बचाव कार्य के लिए लाखों रुपया खर्च किया जाता है. बाढ़ आने के बाद नदी की तेज धारा में पत्थरों और बोल्डर का पता नहीं चलता कि कहां जा रहा है. जिससे सरकार का करोड़ों रुपया पानी में बह जाता है. इतनी दुश्वारियों के बावजूद इस क्षेत्र के लोग यहां से विस्थापित नहीं हो पाते हैं, इसका कारण एक तो शासन स्तर पर इनको इतनी सुविधा मुहैया नहीं हो पाती. जिससे यह लोग अन्यत्र बसकर अपना जीवन यापन आसानी से कर सकें.
हर बारिश में लाखों क्यूसेक पानी छोड़ता है नेपाल
सन् 1950 में भारत एवं नेपाल के बीच कोसी परियोजना जल समझौते के तहत नेपाल हर वर्ष लाखों क्यूसेक पानी भारत की सरयू नदी में छोड़ता है. ज्ञात हो कि भारत नेपाल सीमा पर नेपाल में बहने वाली कोसी नदी का जलस्तर हर बारिश काफी बढ़ जाता है.जिससे नेपाल में बाढ़ से कई इलाकों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है, ऐसे में भारत एवं नेपाल के जल संधि के कारण नेपाल द्वारा बनाए गए डैम के माध्यम से पानी भारत की सरयू नदी में छोड़ा जाता है जिसके कारण भारत में कम बारिश के बावजूद भी बाढ़ आ जाती है.
क्या बोले मुख्य अभियंता सिंचाई
इस संबंध सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता मनोज सिंह ने बताया कि इस समस्या का समाधान के लिए लगातार प्रयास जारी है. पूर्व में शासन को इस क्षेत्र में बंधा बनाने एवं ठोकर बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन वह परियोजना फेल हो गई, चूंकि यह गांव नदी के एकदम किनारे बसा है इसलिए बंधा बनाने से नदी की तेज धारा टकराने से बंधे के टूटने खतरा हमेशा बना रहेगा.इसका एकमात्र समाधान यह है कि यहां के लोगों को विस्थापित कराकर अन्यत्र बसाया जाएगा.इसके लिए बरसात बाद परियोजना तैयार की जाएगी.
( मऊ जनपद से प्रवीण राय की रिपोर्ट)