मथुरा और काशी मामले पर बोले मौलाना अरशद मदनी, अदालत के फैसले पर किया बड़ा दावा
मथुरा और काशी के मुद्दे पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे. उनकी प्रतिक्रिया हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद आई है जिसमें मुस्लिम पक्ष की याचिकाएं खारिज की गई है.
Mathura Janambhoomi: उत्तर प्रदेश मथुरा स्थित शाही ईदगाह और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर मौलाना अरशद मदनी ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कोर्ट के फैसले को लेकर भी अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मानेंगे. सुप्रीम कोर्ट हमारी कोर्ट. उस पर हमारी आस्था है. मदनी ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का सम्मान होना चाहिए.
मथुरा और वाराणसी में सर्वे के सवाल पर मदनी ने कहा कि सर्वे कराने में कोई हर्ज नहीं. अगर सर्वे सही होगा तो वहां मस्जिद ही निकलेगी. उन्होंने कहा कि अयोध्या वाली जगह हमारी थी. उसके बदले में अगर मस्जिद के लिये ज़मीन दी जाये, तो उसे लेने के हक़ में हम नहीं हैं.
बता दें मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का समग्र सर्वेक्षण कराने के निर्देश को चुनौती देने वाली सभी पांच याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला
जज जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत निषिद्ध नहीं है. अदालत ने निचली अदालत को अपने समक्ष लंबित इस वाद पर तेजी से सुनवाई कर छह महीने के भीतर निर्णय करने का निर्देश दिया.
अदालत ने कहा, 'किसी भी पक्ष के अनुरोध पर सुनवाई को अनावश्यक टाला नहीं जाना चाहिए. अगर कोई अंतरिम आदेश है, तो उसे हटाया जाता है. जरूरत पड़ने पर निचली अदालत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को आगे सर्वेक्षण का निर्देश दे सकती है.'
उधर, हाईकोर्ट के फैसले पर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति 'अंजुमन इंतजामिया मसाजिद' ने उच्चतम न्यायालय का रुख करने का संकेत देते हुए मंगलवार को कहा कि वह कोई भी चीज तश्तरी में सजाकर नहीं देगी और आखिरी सांस तक कानूनी लड़ाई लड़ेगी.