रामायण और महाराभारत पढ़ाने के प्रस्ताव पर AIMPLB ने किया NCERT का समर्थन, रखी ये शर्त
NCERT की समिति ने सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए.
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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा छात्रों को महाभारत और रामायण पढ़ाने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने टिप्पणी की है. उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया लेकिन एक शर्त भी रखी है.
उन्होंने कहा 'एनसीईआरटी द्वारा रामायण और महाभारत पढ़ाने का प्रस्ताव एक अच्छी बात है और इससे बच्चों में चरित्र विकास को बढ़ावा मिलेगा. एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में अन्य धार्मिक पुस्तकों को भी शामिल किया जाना चाहिए और छात्रों को चुनने या अस्वीकार करने का विकल्प दिया जाना चाहिए'.
बता दें मंगलवार को NCERT की एक उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए तथा कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जानी चाहिए. यह जानकारी समिति के अध्यक्ष सी. आई. आईजैक ने दी.
अभी तक सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं
पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान पर अपने अंतिम स्थिति दस्तावेज के लिए कई सिफारिश की हैं, जो नयी NCERT पाठ्यपुस्तकों के विकास की नींव रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देशात्मक दस्तावेज है.
NCERT ने अभी तक सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया है.
आइजैक ने कहा, 'समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है. हमारा मानना है कि छात्र किशोरावस्था में अपने आत्मसम्मान, देशभक्ति और अपने राष्ट्र के लिए गौरव का निर्माण करते हैं.'
उन्होंने कहा कि हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है.
आइजैक ने कहा, 'इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश तथा अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है. कुछ बोर्ड पहले से ही रामायण और महाभारत पढ़ाते हैं लेकिन इसे और अधिक विस्तृत तरीके से किया जाना चाहिए.'
उन्होंने पूर्व में कहा था कि इसी समिति ने पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम 'इंडिया' के स्थान पर 'भारत' करने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास के बजाय 'क्लासिकल हिस्ट्री' को शामिल करने और कक्षा तीन से कक्षा 12 तक की पाठ्यपुस्तकों में 'हिंदुओं की जीतों' को रेखांकित करने की भी सिफारिश की थी.
स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही NCERT
आइजैक ने कहा, 'हमारी प्रस्तावना लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता सहित सामाजिक मूल्यों को महत्व देती है. यह महान है. इसलिए, हमने इसे कक्षाओं की दीवारों पर लिखने की सिफारिश की है ताकि हर कोई इसे समझ सके और सीख सके.'
NCERT राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है. नयी NCERT पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है.
इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति (एनएसटीसी) अब समिति की सिफारिशों पर विचार कर सकती है.
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