UP News: 'मुल्क अगर जिंदा रहेगा तो वह...', सांप्रदायिकता पर क्या कुछ बोले मौलाना अरशद मदनी
Deoband News: देवबंद में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सांप्रदायिकता के कारण एक बार हमारा देश टूट चुका है और अगर देश में सांप्रदायिकता बढ़ती है तो इसको और नुकसान होगा.
Uttar Pradesh News: जमीयत-उलमा-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने सांप्रदायिकता (Communalism) की पैरोकारी करने वालों को देश का 'दुश्मन' करार देते हुए सोमवार को कहा कि मुल्क सिर्फ भाईचारे और मोहब्बत से ही जिंदा रहेगा, वरना आज नहीं तो कल यह बर्बाद हो जाएगा. मौलाना मदनी ने जमीयत के मजलिस-ए-मुंतजिमा (साधारण सभा) के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते कहा कि साम्प्रदायिकता आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की समस्या बन गई है.
मदनी ने कहा, ''आज के हालात में फिरकापरस्त जहनियत के लोग जो नारे लगा रहे हैं, ऐसा करने वालों को हम अपने मुल्क का दुश्मन समझते हैं. मुल्क अगर जिंदा रहेगा तो वह भाईचारे के साथ ही जिंदा रहेगा, वरना आज नहीं तो कल यह मुल्क बर्बाद हो जाएगा.'' उन्होंने कहा, ''आज की सूरतेहाल में अगर कोई गाड़ी दूसरी से गाड़ी से जरा सी टकरा जाती है तो कत्ल हो जाते हैं. दुश्मनी इस दर्जे तक बढ़ जाना बहुत बुरा है. यह इंसानियत की तस्वीर नहीं है. पहले तो मुल्क में यह माहौल नहीं था. इसे फिरकापरस्तों ने पैदा किया है. यह वह सूरत है जो मुल्क को तबाही की तरफ ले जा रही है.''
सांप्रदायिकता के कारण हो चुका है विभाजन- मदनी
मौलाना मदनी ने भारत के विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि सांप्रदायिकता की वजह से हमारा देश एक बार टूट चुका है और अगर सांप्रदायिकता बढ़ेगी तो देश को और नुकसान होगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत को सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर आजादी दिलाई है. अकेला हिंदू अकेला मुस्लिम, सिख या ईसाई खड़ा होता तो वह मुल्क को आजाद नहीं करा पाता. यह सभी की एकजुटता से हुआ.’’
जमीयत कोई राजनीतिक संगठन नहीं- मदनी
फलस्तीन में हो रही बमबारी का कड़ा विरोध करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि फलस्तीन के नागरिक अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि इजराइल आक्रमण कर रहा है. मदनी ने कहा, ''जमीयत-उलमा-ए-हिंद कोई राजनीतिक संगठन नहीं है. न हम उम्मीदवार खड़े करते हैं और न ही किसी पार्टी को चुनाव लड़ाते हैं. अगर यह गैर सियासी बुनियाद न होती तो जमीयत कबकी खत्म हो चुकी होती. यह जमीयत की दस्तूरी ताकत है. उसके हर सदस्य को यह समझना चाहिए.''