Bareilly News: तेलंगाना हाईकोर्ट ने हैदराबाद के इबादत खाना में महिलाओं के नमाज पढ़ने का अधिकार बरकरार रखा है. तेलंगाना हाईकोर्ट के दिए गए मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुछ मदरसों को बंद किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शरियत ने मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. तेलंगाना हाईकोर्ट का फैसला अपनी जगह बिल्कुल दुरुस्त है. 


पैगम्बर इस्लाम के जमाने में महिलाएं मस्जिद में आकर नमाज पड़ती थी, पैग़म्बरे इस्लाम के जानशीन ( उत्तराधिकारी) हजरत उमर फारूक जब इस्लामी हुकूमत के प्रमुख बने, तो उनके ज़माने में बहुत सारी शिकायते आने लगी और बुराइयां बढ़ने लगी, तभ इन हालात के पेशे नज़र हजरत उमर फारुख ने विचार विमर्श करके ये फैसला दिया कि महिलाएं अपने घरों में ही नमाज पढे, उनको घरों में नमाज पढ़ने का उतना ही सवाब मिलेगा जितना मस्जिद में नमाज पढ़ने से मिलता है. उसके बाद महिलाएं अपने घरों में ही नमाज पढ़ने लगी. यही परम्परा उस वक्त से लेकर अब तक चली आ रही है. हजरते उमर फारूक के फैसले की मंशा फितना व फसाद को खत्म करना था, जिसमें कामयाबी मिली.


क्या बोले मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी
मौलाना ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करना चाहती है, अगर इन हजारों मदरसों को बंद किया गया तो लाखों बच्चे प्रभावित होंगे, संविधान ने अल्पसंख्यको को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने और शिक्षक संस्थान खोलने, उसके संचालन की इजाजत दी है. अगर इन मदरसों को बंद किया जाता है तो संविधान का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन होगा , इसलिए इन मदरसों को मान्यता देने की व्यवस्था राज्य सरकार करें, इससे अल्पसंख्यक समुदाय का भरोसा दिया जा सकता है.


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