UP News: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Razvi) ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने कहा आखिलेश यादव ने आजम खान का साथ नहीं दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जितने भी सपा के मुस्लिम नेता है वो सपा छोड़कर बनाए नई पार्टी, सभी मुस्लिम उनके साथ होंगे.
वहीं मौलाना रजवी ने कहा कि अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि समाजवादी पार्टी के लीडर आजम खान साहब बड़ी मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं और ये मुश्किलें ऐसा नहीं की किसी ने पैदा की हैं. बल्कि ये मुश्किलें खुद उनकी जरिए पैदा की गई है और उनकी पार्टी के मुखिया समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बिल्कुल खामोशी इफ्तियार किए बैठे हैं. उनकी मुश्किलों पर वो कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं. आपको याद होगा ये ढाई साल की जेल के बाद रामपुर पहुंचे तो मैंने इनको मशवरा दिया था कि खुदा की बारगाह में तौबा करें. मस्जिद में जाकर के पांच वक्त की नमाज पढ़ें और राजनीति से बिल्कुल दूर हो जाएं. अगर वाकई इनको राजनीति करनी ही है और ये नहीं छोड़ना चाहते तो फिर इनको चाहिए कि जितने भी मुसलमान चेहरे समाजवादी पार्टी के हैं जो अखिलेश यादव की इताब कि शिकार हुए हैं तो वो सब लोग मिलकर के आजम खान कयादत में एक नई पार्टी का गठन करें और उस पार्टी के बैनर तले ये राजनीति करें.
मुश्किल के दौर में हैं आजम खान
आजम खान उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुस्लिम लीडर हैं और समाजवादी पार्टी का चेहरा समझे जाते हैं. मगर उनकी मुश्किल के दौरों में चाहे वो पिछले दिनों की बात हो या आज की बात हो पार्टी उनके साथ में खड़ी नहीं है. वो अकेले और तन्हा खड़े हैं, पूरी मुश्किलों का सामना वो अकेले कर रहे हैं. उनके कार्यकर्ता उनके खास जिनके उपर उनकी मेहरबानियां रहती थीं, उनकी पार्टी सबने उनका साथ छोड़ दिया है. अब अगर ऐसी कंडीशन में उनको वाकई में राजनीति करनी है, तो मुरादाबाद के इकराम कुरैशी, बलरामपुर के आरिफ अनवर हाशमीं, कानपुर के इरफान सोलंकी, ये जितने लोग भी हैं जो समाजवादी पार्टी के सताए हुए हैं. अखिलेश यादव ने जिनको नजरअंदाज कर दिया है, इन सब लोगों को मिलाकर के एक संगठन बनाए पार्टी बनाए और उसके बैनर तले ये मैदान में उतरें.
मुस्लिम चेहरों को नजरअंदाज कर दिया
मौलवी रिजवी ने कहा कि मैं समझता हूं कि पूरी कौम इनके पीछे खड़े होगी और ये फिर कामयाब होंगे फिर इनकी मुश्किलें दूर हो जाएंगी. समाजवादी पार्टी से इनका रिश्ता नाता अलग हो जाएगा. यही चाहिए भी क्यूकि ये जितने भी एमएलए हैं. इनको पार्टी ने बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया है, मुस्लिम चेहरों को नजरअंदाज कर दिया है. इस लिए इनके ऊपर वाजिब बनता है कि ये जितनी जल्द हो सके छोड़ दें.