Bangladesh Government Crises: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म और ज्यादती की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की वजह से भारत के मुसलमानों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा रहा है. ये सब इस्लामी शिक्षा के खिलाफ है. ये नहीं होना चाहिए. 


मौलाना ने कहा, कि बांग्लादेश में शेख हसीना की हुकूमत का तख्तापलट किया जाना राजनीतिक इच्छाओं का प्रदर्शन और कट्टरपंथी विचारधारा वालों को सत्ता हासिल करने का माध्यम है. जो निहायती अफसोसनाक बात है. बांग्लादेश में छात्र और जनता ने मिलकर तख्तापलट का कार्य अंजाम दिया. इस तरह की राजनीतिक घटनाएं विदेशों में होती रही है.  लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां हिन्दू अल्पसंख्यकों के घरों में आग लगा दी गई और कई लोगों को मारा गया, साथ ही मंदिरों में भी तोड़फोड़ की गई. 


अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की वजह से अल्पसंख्यक अपने आप को रक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. भारत की सरहद पर हजारों की तादाद में अल्पसंख्यक जमा हो चुके हैं, वो भारत के अंदर दाखिल होना चाहते हैं. मौलाना ने आंदोलनकारियों पर भड़कते हुए नसीहत दी कि इस्लाम और पैगम्बर इस्लाम की शिक्षा ये नहीं है कि इस्लाम को मानने वाले गैर मुस्लिमों पर जुल्म ज्यादती करें और मंदिरों को निशाना बनाएं. 


मौलाना ने कहा कि इस्लाम सभी धर्मों को सम्मान देने की बात करता है, इस्लाम मानवतावादी धर्म है, इस्लाम किसी दूसरे धर्म को मानने वाले के इबादतगाहों को तोड़ कर और आग लगाने की इजाजत नहीं देता है. बल्कि ऐसी परिस्थितियों में उनको सुरक्षा प्रदान करने की बात करता है. ये आंदोलनकारी कैसे है? और किस तरह इन्होंने इस्लाम पढ़ा है जो इस्लाम के उसूलों के खिलाफ काम कर रहे हैं.


 हिंदुओं पर हमले रोकने की अपील
मौलाना ने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर हमले की वजह से भारत के मुसलमानों को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. मौलाना ने मीडिया के माध्यम से बांग्लादेश के आंदोलनकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि सत्ता हासिल करने का जो भी मकसद हो उस सिलसिले में जो चाहें करें, मगर अल्पसंख्यकों के मकानों में आगजनी और मंदिरों में तोड़फोड़ न करें. बांग्लादेश में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले मोहम्मद युनूस और आंदोलन के संयोजक नावेद इस्लाम के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वो अल्पसंख्यको की सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम करें.


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