UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द की गई थी. उस मेरिट लिस्ट में आरक्षण के नियमों का सही ढ़ग से पालन नहीं होने के आरोप लगे थे. इसके बाद यूपीएससी के जरिए भरे जाने वाले पदों की जगह केंद्र सरकार द्वारा लेटरल एंट्री के लिए जारी विज्ञापन पर भी जमकर कर बवाल हुआ है. इन्हें से जुड़े मुद्दों पर बीएसपी चीफ मायावती ने प्रतिक्रिया दी है.


मायावती ने कहा, 'देश में रोजगार का घोर अभाव ही नहीं बल्कि अमीर व गरीबों के बीच बढ़ती खाई अर्थात देश में पूंजी के असामान्य वितरण से आर्थिक गैर-बराबरी के रोग के गंभीर होने से जन व देशहित प्रभावित, जो अति चिन्तनीय. देश में विकास दर के दावे के हिसाब से यहां उतनी नौकरी क्यों नहीं? इसके लिए दोषी कौन?'



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रोजगार की बहार का दावा हवाहवाई
बीएसपी चीफ ने कहा, 'इसी क्रम में यूपी सरकार द्वारा भारी भरकम विज्ञापनों के जरिए यह दावा कि यहां रोजगार की बहार, वास्तव में इनके अन्य दावों की तरह ही यह जमीनी हकीकत से दूर हवाहवाई ज्यादा. पेट भरने के लिए मेहनत व जैसा-तैसा स्वरोजगार को भी अपनी उपलब्धि मानना बेरोजगारी आदि की समस्या का समाधान नहीं.'


उन्होंने कहा, 'लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले यूपी में 6.5 लाख प्लस सरकारी नौकरी का दावा क्या ऊंट के मुंह में ज़ीरा नहीं? इसी प्रकार केन्द्र में भी स्थाई नौकरियों का बुरा हाल है जहाँ पद खाली पड़े हैं. इससे SC, ST, OBC आरक्षण का कोटा भी प्रभावित है. अपार बेरोजगारी के मद्देनजर सही समाधान जरूरी.'


बता दें कि नौकरी और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर यूपी उपचुनाव से पहले तूल पकड़ रहा है. बीते कुछ सालों के दौरान इन दोनों ही मुद्दों को लेकर बीजेपी सरकार पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में उपचुनाव से पहले फिर इन मुद्दों के कारण बीजेपी सरकार घिरी हुई है. इन मुद्दों पर मायावती और अखिलेश यादव बीते कुछ दिनों में एक सुर में नजर आए हैं.