UP News: कांशीराम (Kanshi Ram) की मूर्ति स्थापना के जरिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने बीएसपी (BSP) के कोर वोटर्स को नया संदेश दिया है. लेकिन बीएसपी चीफ मायावती (Mayawati) को सपा का ये नया स्वभाव रास नहीं आ रहा है. सपा के इस नए संदेश पर बसपा सुप्रीमों बुधवार को भड़क गईं और उन्होंने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पिता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का नाम लेकर उनकी नियत पर सवाल खड़े कर दिए. 


दरअसल, अखिलेश यादव ने कांशीराम की मूर्ति की स्थापना के बाद कहा, "इस बार बहुजन समाज को भरोसा है कि समाजवादी उनके साथ है. अपने हक, सम्मान, अधिकार के लिए बहुजन समाज, समाजवादी पार्टी के साथ एकजुट हो रहा है. हम बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और मान्यवर कांशीराम के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं. हम बहुजन समाज में सेंध लगाने नहीं, बहुजन समाज को बांधने वाले हैं." 



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मायावती का पलटवार
लेकिन सपा प्रमुख के इस बयान पर पहले आकाश आनंद ने जवाब दिया और फिर मायावती खुद मैदान में आ गईं. इसका जवाब देते हुए बीएसपी चीफ ने कहा, "सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है. वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है."


उन्होंने नेताजी का नाम लेकर नीयत पर सवाल उठाते हुए आगे कहा, "यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि सन 1993 में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, किन्तु श्री मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही."


बता यहीं खत्म नहीं हुई, बीएसपी चीफ ने कहा, "इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी. अतः सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत." यानी सपा पर बसपा को बदनाम करने और साजिश रचने का आरोप लगाया.