UP Politics: बहुजन समाज पार्टी (BSP) आगामी विधानसभा चुनावों के बाद सरकारों में शामिल होने पर विचार करेगी. मायावती (Mayawati) दिल्ली में बसपा नेताओं की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने 'सत्ता संतुलन' और हाशिये पर रह रहे लोगों के उत्थान पर जोर दिया. मायावती ने मंगलवार को कहा कि बसपा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के बाद सरकारों में शामिल होने पर विचार करेगी. उन्होंने कमजोर वर्गों और मुसलमानों की बेहतरी के लिए गठबंधन सरकार की वकालत की.


बसपा की समीक्षा बैठक में क्या बोलीं मायावती?


बसपा प्रमुख ने कहा कि चार राज्यों में कमजोर वर्गों और मुसलमानों का काम करने के लिए अहम है कि मजबूत और अहंकारी सरकार के बजाय गठबंधन की सरकार सत्ता में रहे. पार्टी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि बसपा की मौजूदगी से कई राज्यों में सत्ता संतुलन स्थापित हुआ. पार्टी की वजह से दलित समुदाय का ‘राजनीतिक सम्मान’ बढ़ा. उन्होंने कहा, लेकिन स्वार्थी लोगों ने समाज के बजाय निजी हितों को प्राथमिकता दी और जातिवादी पार्टियों के साथ चले गए. इस साल अक्टूबर-नवंबर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ ही मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है.


विधानसभा चुनावों से पहले मायावती का बयान अहम माना जा रहा है. गौरतलब है कि देश में इंडिया और एनडीए के गठबंधन से मायावती ने खुद को दूर रखा है. विपक्षी मोर्चे की दो अहम बैठक पटना के बाद बेंगलुरु में हो चुकी है. दोनों बैठकों में बसपा प्रमुख ने शिरकत नहीं की थी. ऐसे में उनके बयान से संकेत मिलता है कि राज्य की सत्ता का भागीदार बनने के लिए बसपा विचार कर सकती है. देखा गया है कि सत्ता से बाहर रहने पर विधायकों के टूटने का खतरा रहता है. उत्तर प्रदेश में बसपा के कमजोर पड़ने का असर अन्य राज्यों पर भी पड़ा है. 


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