Mayawati On Gyanvapi: ज्ञानवापी के एएसआई सर्वें को लेकर हो रही सियासी बयानबाजी के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है, बसपा सुप्रीमो ने इस मुद्दे पर हो रही बयानबाजी को लेकर समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर जिस तरह के बयान दिए जा रहे हैं वो कोई सोची समझी साजिश हो सकती है. ये मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, इसलिए इस पर बिना किसी वजह टीका-टिप्पणी नहीं होनी चाहिए. हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम लिए बिना हमला किया और कहा कि जिस तरह से बदरीनाथ मंदिर को बौद्ध मठ कहा गया और बीजेपी की ओर से ज्ञानवापी पर प्रतिक्रिया सामने आई है. उससे ये विवाद और बढ़ सकता है. ऐसे में ये दोनों पार्टियों की कोई सोची समझी रणनीति भी हो सकती है, जो कि बेहद गंभीर मामला है.
ज्ञानवापी पर मायावती की पहली प्रतिक्रिया
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, "सपा द्वारा बौद्ध मठ को तोड़कर बद्रीनाथ मन्दिर बनाने सम्बंधी बयान के बाद अब भाजपा द्वारा कोर्ट में लम्बित ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर विवाद को बढ़ाने वाला बयान कहीं इन दोनों पार्टियों की सोची-समझी राजनीतिक साजिश का परिणाम तो नहीं? यह गंभीर व अति-चिन्तनीय" उन्होंने आगे कहा, "ज्ञानवापी मामले में एएसआई से सर्वें कराने के विवाद को लेकर मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट में अभी लम्बित है, तब उस विवाद के सम्बंध में कोई भी टीका-टिप्पणी करना अनावश्यक ही नहीं बल्कि अनुचित। कोर्ट के फैसले का सम्मान एवं इंतजार करना जरूरी"
सीएम योगी ने कही थी ये बात
दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहा जाएगा तो फिर उस पर विवाद होगा. उन्होंने पूछा कि वहां पर त्रिशूल क्या कर रहा है. वहां की दीवारें चीख-चीखकर गवाही दे रही हैं. मुस्लिम समुदाय को मानना चाहिए कि ये एतिहासिक भूल हुई है और खुद आगे बढ़कर इसका प्रस्ताव देना चाहिए ताकि इसमें सुधार हो सके.
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर विवाद
इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर कहा था कि अगर इसका सर्वे होगा तो फिर सभी हिन्दू धार्मिक स्थलों का सर्वे भी होना चाहिए क्योंकि 8वीं सदी में इन्हें बौद्ध मठों को तोड़कर बनाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि बदरीनाथ धाम पहले बौद्ध मठ था, जिसे शंकराचार्य ने तोड़कर मंदिर बनाया है.
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