UP Politics: 2024 चुनाव के लिए BSP की अनोखी रणनीति, मायावती का दांव चला तो बीजेपी-सपा को होगी मुश्किल
Lok Sabha Election: संगठन को मजबूत करने के लिए बीएसपी ने गांव चलो अभियान शुरू किया था. इसके साथ ही ये निर्णय हुआ कि बूथ से लेकर ऊपर तक के संगठन में कम से कम 50 फीसदी चेहरे युवा हों.
Lok Sabha Elections 2024: मिशन 2024 के मद्देनजर बसपा (BSP) ने अब एक बूथ, पांच यूथ की स्ट्रेटेजी पर काम शुरू कर दिया है. अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कुछ समय पहले बसपा ने गांव चलो अभियान शुरू किया था. इसके साथ ही ये भी निर्णय हुआ कि बूथ से लेकर ऊपर तक के संगठन में कम से कम 50 फीसदी चेहरे युवा हों. अब इसी को आगे बढ़ाते हुए एक बूथ, पांच यूथ की रणनीति पर काम किया जा रहा है. इसके लिए गांव गांव में बैठकें की जा रही हैं. बसपा एमएलसी भीमराव अंबेडकर ने बताया कि एक बूथ पर 5 यूथ की कमेटी, सेक्टर में 10 से 12 लोग की कमेटी बना रहे हैं. संगठन में बूथ से लेकर ऊपर तक युवाओं को 50 फीसदी भागीदारी देना है. जो मायावती ने निर्देश दिए उसी के आधार पर हम काम कर रहे हैं. कैडर बेस तैयार किया जाएगा.
इस अभियान को लेकर बसपा एमएलसी भीमराव अंबेडकर ने कहा कि 10 साल से हम लोग सरकार से बाहर हैं. यानी आज जिसकी उम्र 20-30 साल है उसने बसपा का कैडर नहीं लिया. कैडर देने का मतलब होता कि जो एससी, एसटी, पिछड़े, अल्पसंख्यक, सवर्ण समाज के मानवतावादी गरीब कमजोर लोग हैं उनको इस बात का एहसास कराना कि आज उनको जो सुख सुविधाएं मिल रही, जो अधिकार हासिल कर सकते वह भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए संविधान की वजह से. उन्होंने सब समाज के हित के लिए संविधान में जो अधिकार दिए हैं वह चीजें हैं. आज के युवा को समझ में आनी चाहिए कि वर्तमान सरकारें संविधान ने उन्हें सम्मान से जीने का जो अधिकार दिया उसके आधार पर आर्थिक नीतियां नहीं बनाते. वर्तमान सरकार पूंजीपतियों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाती हैं जिससे गरीब कमजोर बेरोजगार को रोजगार देने का वादा खत्म किए जाए.
मायावती जब संविधान के आधार पर सरकार चलाती हैं- बसपा नेता
बसपा नेता ने कहा कि आज संविदा, आउटसोर्सिंग के आधार पर नियुक्तियां देते हैं जिसमें उन्हें 5-10 हजार मिलता है. इसे बसपा ने सब समाज के युवाओं के बीच में ले जाने का फैसला किया है. जो युवा है उसे दोबारा यह बात समझाने के लिए की उन्हें अधिकार तब ही हासिल होंगे जब बसपा की सत्ता आएगी. मायावती जब संविधान के आधार पर सरकार चलाती हैं तो गरीब के लिए नीतियां बनाती हैं. बसपा धन्ना सेठों या पूंजीपतियों से पैसा नहीं लेती. थोड़ा बहुत गरीब कमजोर लोगों से ही आर्थिक सहयोग लेकर बसपा को चलाते हैं. जब बसपा की सरकार बनती है तो पूंजीपतियों के आधार पर नहीं बल्कि गरीबों किसानों मजदूरों की बेहतरी के लिए योजना बनाते हैं. इस बात को सर्व समाज खास तौर से युवा को समझाना है.