UP News: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने स्वलिखित बुकलेट में 29 साल पुराने मामले का जिक्र कर यूपी की मौजूदा सियासी स्थिति को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश की है. साल 2019 में जब बसपा और समाजवादी पार्टी के बीच अलायंस हुआ था तब कहा गया था कि मायावती पुरानी बातों को भुलाकर सियासत की नई राह पर आगे बढ़ गईं हैं. हालांकि सपा संग अलायंस टूटने और अखिलेश यादव पर तीखे सियासी हमले करने के बीच मायावती की नई रणनीति ने सपा को हैरान कर दिया है.
दरअसल, बीते दिनों उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने फिर से बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जिम्मा संभाला. बसपा ने इसके बाद एक बुकलेट का विमोचन भी किया जिसे खुद पार्टी चीफ ने लिखा था. इस बुकलटे में गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया गया है. गेस्ट हाउस कांड आज से 29 साल पुराना मामला है.
गेस्ट हाउस काण्ड की याद
बसपा चीफ ने बुकलेट में लिखा है- भाजपा व कांग्रेस के हिन्दुत्ववाद के विरुद्ध उत्तर प्रदेश में सन् 1993 में सपा-बसपा की गठबंधन सरकार बनने के बावजूद दलितों व महिलाओं पर हर स्तर का शोषण, उत्पीड़न व जुल्म-ज्यादती आदि जारी रहने के परिणामस्वरूप ही बी.एस.पी. को मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस लेकर सरकार की कमान अपने हाथ में लेनी पड़ी थी, जिसके खिलाफ तब इन्होंने मेरी हत्या कराने तक का अति-घिनौना प्रयास किया, जो "दिनांक 2 जून सन् 1995 के लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड" से जाना जाता है और लोगों के दिल-दिमाग पर वह आज तक छाया हुआ है.
जानकारों का मानना है कि बसपा चीफ ने इस मामले को एक बार फिर उठाकर छिटकते मतदाताओं को एक डोर में बांधने की कोशिश की है. दरअसल, जून 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के संदर्भ में यह दावा किया जा रहा है कि बसपा का वोटबैंक सपा और कांग्रेस के इंडिया अलायंस की ओर शिफ्ट हो रहा है. ऐसे में अपने वोटबैंक को फिर से सहेजने के लिए बसपा चीफ गेस्ट हाउस कांड की याद दिला रही हैं ताकि मतदाताओं में यह संदेश जा सके कि सपा और कांग्रेस के साथ उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है.
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क्या बोले बसपा के यूपी चीफ?
बसपा चीफ की पूरी कोशिश है कि आगामी उपचुनाव और साल 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए अपने मतदाताओं को फिर से सहेज लें इस संदर्भ में बसपा यूपी चीफ विश्वनाथ पाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कुछ वोट धोखे से सपा और कांग्रेस के इंडिया अलायंस की ओर चला गया. चुनाव में उन्होंने संविधान को लेकर जो वादे किए थे लोग उसके धोखे में कुछ लोग आ गए. लेकिन उससे कुछ होना नहीं है.
बुकलेट में गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करने पर विश्वनाथ पाल ने कहा कि बहन जी ने जो किताब लिखी तो उसमें सभी बातों का जिक्र हुआ है. 1978 में बामसेफ, 1981 में डीएस4 और 1984 में बसपा बनी. किताब में हर चीज का जिक्र होता है. ऐसा नहीं होता कि जिस दिन या समय में किताब लिखी जा रही हो सिर्फ उसी का जिक्र हो.