UP Politics: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रविवार को बीते हफ्ते जारी एक कथित सरकारी आदेश का हवाला देते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर प्रतिबंध हटा दिया गया है. अब इस मामले पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती ने प्रतिक्रिया दी है. बसपा चीफ ने इस मुद्दे पर कांग्रेस का साथ दिया है.
बसपा चीफ सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो.
उन्होंने लिखा- सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियाँ काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं। ऐसे में यह निर्णय अनुचित, तुरन्त वापस हो.
कांग्रेस ने क्या दावा किया?
कांग्रेस नेताओं द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए कथित सरकारी आदेश की सत्यता का तुरंत पता नहीं चल सका. उधर बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने भी आदेश का स्क्रीनशॉट साझा किया और कहा कि 58 साल पहले जारी एक असंवैधानिक निर्देश को मोदी सरकार ने वापस ले लिया है. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी 9 जुलाई की तारीख वाला एक कार्यालय ज्ञापन साझा किया.
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उधर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आदेश की तस्वीर के साथ एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि सरदार पटेल ने गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद, अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध वापस ले लिया गया था. इसके बाद भी आरएसएस ने कभी नागपुर में तिरंगा नहीं फहराया. रमेश ने कहा कि 1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था - और यह सही भी था. 4 जून 2024 के बाद स्वयंभू गैर-जैविक पीएम और आरएसएस के बीच संबंधों में गिरावट आ जाएगी. उन्होंने कहा कि 9 जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया जाएगा जो कि वाजपेयी के पीएम कार्यकाल के दौरान भी लागू था. रमेश ने कहा कि मुझे लगता है कि नौकरशाही अब निकर में भी आ सकती है.