मिशन-27 के लिए मायावती ने चला OBC कार्ड, बसपा के फॉर्मूले पर कांग्रेस-सपा और BJP ने उठाए सवाल
Mayawati News: मायावती की इस बैठक पर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि आज बसपा भले ही बड़ी-बड़ी बात कह रही हैं. पिछडों को जोड़ने के बात कह रही हैं, पर जब सत्ता में थी तब उन्होंने क्या किया.

UP News: साल 2027 के चुनाव से पहले बसपा चीफ मायावती ने ओबीसी कार्ड चला है. अब दलितों के साथ ओबीसी वर्ग को भी मायावती ने जोड़ने की कोशिश शुरू की है. आज सोमवार (25 मार्च) की बैठक में मायावती ने ओबीसी वर्ग को अपने साथ जोड़ने के लिए कवायद शुरू की है. इसके साथ ही बसपा में भाईचारा कमेटियां बनाई गई हैं, जिनका काम पिछड़े समाज के लोगों को जोड़ने का होगा.
बसपा चीफ मायावती के पिछड़ों को जोड़ने की रणनीति पर अब विपक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. समाजवादी पार्टी के नेता आमीक जमई का कहना है कि मायावती का जो जहाज है वह डूब गया है और कांशीराम जी के आंदोलन को जिंदा रखने के लिए भारत के महान समाजवादी युवा नेता ने 2019 में गठबंधन कर उस जहाज को डूबने से बचाने का काम किया था. मायावती ने क्या किया, उन्होंने हमेशा ऐसा काम किया जिससे समाजवादी पार्टी कमजोर हो.
सपा नेता ने कहा कि आज अनुसूचित वर्ग में इस बात की चर्चा है कि पूरे उत्तर प्रदेश में उनके ऊपर हमले हो रहे हैं कोई दलित घोड़ी नहीं चढ़ सकता है और एक नौजवान उनकी पार्टी में बोल रहा था, केंद्र की सत्ता से टकराने का काम कर रहा था पर दिल्ली से आदेश आया और उसको हटा दिया. तो जो पीडीएफ की लड़ाई है पूरा पिछड़ा जो समाज है दलित समाज के लोग हैं उनको यह मालूम है कि हमारे देश में एक नए काशीराम आए हैं जो अखिलेश यादव हैं और उन्हीं के पीछे पिछड़ों का हित हो सकता है.
वहीं मायावती की इस बैठक पर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि आज बसपा भले ही बड़ी-बड़ी बात कह रही हैं. पिछडों को जोड़ने के बात कह रही पर जब शासन सत्ता में थी तब उन्होंने पिछड़ों के लिए क्या किया कितने पिछड़ों को काम दिया. रोजगार दिया और तब जोड़ने का काम क्यों नहीं किया और आज लोगों को भ्रमित कर एक रास्ता दिखाना चाह रहे हैं पर अब जनता समझ चुकी है.
बड़ी-बड़ी बातों पर जनता वोट देने वाली नहीं- कांग्रेस
कांग्रेस नेता ने कहा कि जनता के साथ जो खड़ा रहेगा जनता उसी के साथ खड़ी रहेगी. अब बड़ी-बड़ी बातों पर जनता वोट देने वाली नहीं है. बहुजन समाज पार्टी के साथ तो बहुत बड़ा पिछड़ा वर्ग एक समय पर जुड़ा हुआ था पर क्या हुआ, क्यों सब छोड़ कर चले गए . उनके सारे मंत्री क्यों छोड़कर चले गए, इसका मतलब यह है कि मायावती किसी को जोड़कर नहीं रख सकते हैं.
बसपा नए-नए प्रयोग करके हताश और निराशा होती है- बीजेपी
इसके साथ ही बीजेपी प्रवक्ता संजय चौधरी का कहना है कि बसपा नए-नए प्रयोग करके हताश और निराशा होती रहती है. अब उनकी विश्वसनीयता समाप्त हो गई है और किसी भी वर्ग विशेष की राजनीति के बजाय बीजेपी की एकदम सीधी एकदम साफ रणनीति है. सबका साथ सबका विकास की जो रणनीति है इस रणनीति से आगे हम बढ़ सकते हैं. जब तक हम सबको साथ नहीं जोड़ेंगे तब तक समग्र समाज का विकास नहीं हो सकता है. राजनीतिक दलों को टुकड़ों में राजनीति करने की बजाय समग्र राजनीति करनी चाहिए.
साल 2014 में मस्लिमों को बसपा ने दी तवज्जो
साल 2012 से सत्ता से दूर हो चुकी बहुजन समाज पार्टी ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रयोग किए हैं. साल 2007 में ब्राह्मणों के साथ लेने के साथ बसपा सत्ता में आई थी पर 2014 में उसने मुसलमान को तवज्जो दी पर तब वह हाशिये पर रही. वहीं साल 2019 और 2022 में भी अलग-अलग प्रयोग किया पर उन प्रयोगों पर बसपा को सफलता नहीं मिली. अब देखना होगा कि साल 2027 के इस ओबीसी प्रेम का नया प्रयोग बसपा को कितनी सफलता दे पता है.
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