लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दल-बदल का खेल शुरू हो गया है. कल बहुजन समाज पार्टी के आधा दर्जन बागी विधायकों ने सपा के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की. इसके बाद चर्चा यह शुरू हुई कि ये सभी विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन बसपा के बागी विधायक असलम राइनी ने नया दल बनाने का ऐलान किया था. असलम ने कहा कि 12 विधायकों के साथ होते ही वो अलग दल बना लेंगे.


इसे लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव पर बड़ा हमला किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा है. जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आरोप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है.''



मायावती ने कहा, ''सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती. क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं.'' उन्होंने कहा कि ''जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं. इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय.''



बीएसपी सुप्रीमो ने आगे कहा कि ''वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है. यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा.''


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