लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव में विपरीत नतीजों के बाद बहुजन समाज पार्टी में मंथन का दौर जारी है। मायावती ने आज पार्टी की बैठक में कहा कि गठबंधन से कोई लाभ नहीं हुआ और बीएसपी के पक्ष में यादव वोट नहीं मिले। मयावती का कहना है कि अगर यादव वोट मिले होते तो अखिलेश यादव के परिवार के लोग चुनाव नहीं हारते। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के लोगों ने कई जगहों पर गठबंधन के खिलाफ काम किया। मुसलमानों ने हमारा पूरा साथ दिया।


माया अकेले लड़ेंगी चुनाव


मायावती ने यूपी की सभी ग्यारह विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उप-चुनाव में अकेले लड़ने का एलान किया है। 2009 के बाद बीएसपी ने कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। मायावती ने बैठक में  तीन बार शिवपाल यादव का नाम लिया, उन्होंने कहा कि शिवपाल ने कई जगहों पर यादव वोट बीजेपी को ट्रांसफर करा दिया।



नतीजों के बाद गिरी गाज


बता दें कि नतीजों को लेकर कई प्रभारियों पर गाज भी गिरी है। खराब प्रदर्शन पर मायावती ने कई राज्यों के प्रभारियों को हटा दिया है। जिनमें उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा शामिल हैं। इसके साथ ही दिल्ली और मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्षों को भी हटाया गया है।



मौन हो गए अखिलेश


यहां यह भी बता दें कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की दुर्गति के बाद से ही अखिलेश यादव मौन थे। वे कहीं जाते आते नहीं थे और न ही हार की समीक्षा के लिए ही उन्होंने कोई बैठक बुलाई थी। लखनऊ में पार्टी दफ्तर वे कई बार आए, जो नेता मिलने आए, उनसे दो बातें भी कर लीं। कोर टीम के कुछ सदस्यों के साथ अखिलेश यादव ने हार पर चर्चा भी कर ली, लेकिन इन दिनों वे कटे-कटे से रहते हैं। उनकी सहयोगी पार्टी बीएसपी ने अपने संसदीय दल के नेता और उपनेता का चुनाव भी कर लिया। लेकिन अखिलेश यादव ने के अब तक अपनी पार्टी के सांसदों की मीटिंग तक नहीं बुलाई है।



बीएसपी को लाभ


बीएसपी से गठबंधन के बाद अखिलेश को यूपी में बड़ा नुकसान हुआ है। मायावती की पार्टी पिछली बार चुनाव में खाता नहीं खोल पाई थी। इस बार तो बीएसपी के दस एमपी चुने गए हैं, लेकिन अखिलेश यादव तो अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी हार से नहीं बचा पाए। उनके दो चचेरे भाई धर्मेन्द्र और अक्षय यादव भी चुनाव हार गए। पिछले चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के 5 एमपी थे और इस बार भी इतनी ही सीटें मिली हैं।