UP Politics: कांग्रेस की इन मांगों को मायावती ने बताया चुनावी स्वार्थ, बीजेपी और सपा के फैसलों को बताया षडयंत्र
बीएसपी (BSP) चीफ मायावती (Mayawati) ने कांग्रेस (Congress) महाधिवेशन में उठाई गई मांगों को चुनावी स्वार्थ और छलावा बताया है. इसके साथ ही बीजेपी और सपा के फैसलों पर भी सवाल खड़े किए हैं.
UP News: कांग्रेस (Congress) का 85वां महाधिवेशन बीते सप्ताह हुआ था. ये अधिवेशन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायपुर (Raipur) में हुआ था. जिसमें कांग्रेस ने जातीय जनगणना (Caste Census) और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण समेत कई मुद्दों पर बयान दिया था. जिसपर अब बीएसपी (BSP) चीफ मायावती (Mayawati) की प्रतिक्रिया आई है.
मायावती ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है. बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण."
बसपा प्रमुख ने कहा, "साथ ही, प्रोन्नति में आरक्षण के चर्चित व महत्त्वपूर्ण मुद्दे को लेकर कांग्रेस व भाजपा द्वारा सपा को आगे करके सम्बंधित बिल को संसद में पारित नहीं होने देने के जातिवादी षडयंत्र को भला कौन भुला सकता है, जिसका अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम इन वर्गों को आजतक भुगतना पड़ रहा है."
मायावती का बयान
बीएसपी चीफ ने कहा, "इन्हीं बीएसपी-विरोधी पार्टियों के षडयंत्र का परिणाम है कि सरकारी नौकरी व शिक्षा में इन वर्गों का आरक्षण लगभग निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बन गया है तथा इनकी आरक्षित सीटें वर्षों से खाली हैं जबकि ईडब्लूएस का नया लागू कोटा सरकार मुस्तैदी से भरती है. अतः हर स्तर पर सावधानी जरूरी."
उन्होंने कहा, "इतना ही नहीं कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियाँ सत्ता में रहते खासकर दलित व आदिवासी वर्ग को पार्टी संगठन में भी उच्च पदों से दरकिनार रखती हैं अर्थात अच्छे वक्त में अन्य वर्गों को ही पूरा महत्त्व तथा सत्ता से बाहर होने पर बुरे वक्त में इनकी याद एवं उनके वोट के लिए घड़ियाली आंसू."
नया रायपुर में हुए कांग्रेस के इस महाधिवेशन से पार्टी को और मजबूत करने पर खास फोकस किया गया है. जिसमें एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक को पार्टी में भागीदारी बढ़ाने की रणनीति बनाई है. पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए देश के बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. इनके लिए संगठन और सीडब्ल्यूसी में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा.