राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर और अखिलेश की बहस के बीच मायावती का बड़ा बयान, मोदी सरकार से कर दी बड़ी मांग
BSP सुप्रीमो मायावती ने Rahul Gandhi, Akhilesh Yadav और Anurag Thakur की बहस पर प्रतिक्रिया दी है. बसपा चीफ ने मोदी सरकार से बड़ी मांग की है.
UP Politics: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता और रायबरेली सांसद राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी नेता और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता, हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर की बहस के बीच टिप्पणी की है.
बसपा चीफ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- कल संसद में ख़ासकर जाति व जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस व बीजेपी आदि में जारी तकरार नाटकबाज़ी तथा ओबीसी समाज को छलने की कोशिश, क्योंकि इनके आरक्षण को लेकर दोनों ही पार्टियों का इतिहास खुलेआम व पर्दे के पीछे भी घोर ओबीसी-विरोधी रहा है. इन पर विश्वास करना ठीक नहीं.
मायावती ने लिखा कि बीएसपी के प्रयासों से यहाँ लागू हुई ओबीसी आरक्षण की तरह ही राष्ट्रीय जातीय जनगणना जनहित का एक ख़ास राष्ट्रीय मुद्दा, जिसके प्रति केन्द्र को गंभीर होना जरूरी. देश के विकास में करोड़ों ग़रीबों-पिछड़ों व बहुजनों का भी हक, जिसकी पूर्ति में जातीय जनगणना की अहम भूमिका.
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पीएम ने की अनुराग की तारीफ
दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में दिये भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य अनुराग ठाकुर के भाषण की मंगलवार को सराहना की और कहा कि इसे अवश्य सुना जाना चाहिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने अपने भाषण के दौरान, विपक्ष के नेता राहुल गांधी के संबोधन पर राजनीतिक रूप से पलटवार किया.
मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''मेरे युवा और ऊर्जावान सहयोगी अनुराग ठाकुर का यह भाषण अवश्य सुना जाना चाहिए. तथ्यों और व्यंग्य का एक सही मिश्रण है, ‘इंडी’ गठबंधन की गंदी राजनीति को उजागर करता है.' ठाकुर ने लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण को लेकर उन पर पलटवार किया.
अनुराग और राहुल में हुई थी बहस
BJP नेता ने कांग्रेस सरकारों के दौरान हुए कथित घोटालों और अतीत में उसके नेताओं द्वारा विपक्ष के नेता से सवाल पूछने के लिए जाति आधारित कोटा के बारे में आलोचनात्मक संदर्भों का उल्लेख किया.
जाति आधारित गणना के मुद्दे पर, राहुल की जाति के संबंध में उनके सवाल के कारण लोकसभा में हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष ने इसे अपमान बताया और कहा कि यह उन्हें जातिवार गणना की अपनी मांग पर अड़े रहने से नहीं डिगा पाएगा.