लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के स्वागत किया है. मायावती ने कहा कि कोर्ट द्वारा कामगारों के लिये रेल व बसों से फ्री यात्रा और राज्यों द्वारा उनके खाने-पीने का उचित इंतजाम करने का निर्देश देना, ये अच्छा फैसला है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी पहले से ही यह मांग करती आ रही थी लेकिन इसे अनदेखा किया जा रहा था. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी श्रमिक हर प्रकार उपेक्षा-तिरस्कार से पीड़ित है.





बसपा सुप्रीमो ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुये ये बातें लिखीं. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ''देश में पिछले 66 दिन से लॉकडाउन के कारण हर प्रकार की उपेक्षा/तिरस्कार से पीड़ित जैसे-तैसे घर लौटने वाले लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए अन्ततः मा. कोर्ट को कहना पड़ा कि रेल/बस से उन्हें फ्री घर भेजने की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है. बीएसपी की इस माँग की सरकार अनदेखी करती रही है''.


मायावती ने ट्वीट में आगे लिखते हुये कहा कि ''किन्तु खासकर यूपी व बिहार में घर वापसी कर रहे इन बेसहारा लाखों प्रवासी श्रमिकों की रोजी-रोटी की मूलभूत समस्या का समाधान करना केन्द्र व राज्य सरकारों का अब पहला कर्तव्य बनता है. इन्हें इनके घर के आसपास स्थाई रोजगार उपलब्ध कराना ही सरकार की नीयत, नीति व निष्ठा की असली परीक्षा है''.





आर्थिक पैकेज की परीक्षा
बसपा सुप्रीमो ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित किये गये 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का जिक्र करते हुये कहा कि सरकार के इस पैकेज की असली परीक्षा अब होनी है. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ''वास्तव में केन्द्र ने देर से ही सही 20 लाख करोड़ रु का जो आर्थिक पैकेज घोषित किया है उसके भी जनहित में उचित उपयोग की परीक्षा अब यहाँ होनी है. आमजनता अपनी इस अभूतपूर्व दुर्दशा व बदहाली के लिए सरकारों की उपेक्षा व तिरस्कार को आगे शायद ही भुला पाए. उन्हें जीने के लिए न्याय चाहिए''.





कोर्ट ने राज्य सरकारों को दिया निर्देश
गौरतलब है कि प्रवासी श्रमिक अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. इस दौरान तमाम ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जिनमें श्रमिकों से टिकट लिया जा रहा है या फिर उन्हें ट्रेन में खाना-पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुये कहा कि ट्रेनों और बसों से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से किसी तरह का किराया ना लिया जाए. यह खर्च राज्य सरकारें ही उठाएं। कोर्ट ने आदेश दिया कि फंसे हुए मजदूरों को खाना मुहैया कराने की व्यवस्था भी राज्य सरकारें ही करें.


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