आगरा, एबीपी गंगा। मां-बाप का सपना पूरा करने का दबाव था। इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के कोचिंग हब कोटा में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। लगातार तीन साल के प्रयास के बावजूद नाकामी मिली तो हताश-निराश एक होनहार ने धर्मशाला में फांसी के फंदे पर लटक कर खुदकशी कर ली। भरतपुर के गांव मोरौली निवासी 22 वर्षीय हेमराज पुत्र समय सिंह तीन साल से कोटा में मेडिकल प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस दौरान करीब 12 लाख रुपये खर्च हो चुके थे। सफलता न मिलने से हेमराज डिप्रेशन में था।


पुलिस ने तोड़ा दरवाजा


हेमराज गोवर्धन में सिंडीकेट बैंक के सामने सत्यनारायण धर्मशाला पहुंचा। यहां धर्मशाला प्रबंधन ने कमरा नंबर 202 दे दिया। मंगलवार सुबह आठ बजे तक कमरे से हलचल नहीं हुई तो कर्मचारी ने दरवाजा खटखटाया। कमरा खटखटाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला तो धर्मशाला प्रबंधक महेश शर्मा ने खिड़की से अंदर देखा। युवक का शव फंदे पर झूल रहा था। तुरंत पूरे मामले की सूचना पुलिस को दी गई, पुलिस ने आकर दरवाजा तुड़वाया।


पांच पेज का सुसाइड नोट बरामद


कमरे में लगे पंखे पर हेमराज का शव रस्सी से लटका था। बेड पर कुर्सी रखी थी। हेमराज के हाथ रस्सी से बंधे थे। समीप ही चूहा मारने की दवा बिखरी थी, कोल्ड ड्रिंक की बोतल भी रखी थी। डस्टबिन में सल्फॉस की दो डिब्बी पड़ी थीं। मुंह से निकलते झाग और कमरे में दुर्गंध से प्रतीत हो रहा था कि फंदे पर झूलने से पहले हेमराज ने विषाक्त खाया है। शव के समीप पांच पेज का सुसाइड नोट भी मिला। प्रभारी निरीक्षक सुभाष पांडे ने बताया कि प्राथमिक तौर पर मामला खुदकशी से संबंधित है।



और कह दिया अलविदा...


अपने सुसाइड नोट में हेमराज ने कई जगह जान शब्द भी लिखा है। बिना नाम के एक फ्रेंड को लिखा है वो गलत रास्ते पर न जाए। अंत में उसने अलविदा फ्रेंड, अलविदा इंडिया, अलविदा जान भी लिखा है।


अवसाद में चला गया था हेमराज


घरवालों की अपेक्षाएं और पढ़ाई के दबाव के बीच सफलता न मिलने से हेमराज अवसाद में चला गया था। सुसाइड नोट में उसने मां, चाचा, मासी, बुआ, फूफा, सौरव और सीमा को संबोधित करते हुए लिखा है कि मैंने कोटा में काफी मेहनत की लेकिन सफल नहीं हो सका। मां को लिखा है कि प्लीज मुझे गले लगा लो, मैं थक चुका हूं। मुझे अपने आंचल में छुपा लो, अपके लाल को बहुत ज्यादा शान्ति मिलेगी।



मांगी माफी


हेमराज ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैंने होशो-हवास में परिक्रमा देकर प्राणों को खुद त्यागा है। सभी परिजनों से माफी मांगते हुए, धर्मशाला के प्रबंधक को भी संबोधित कर माफी मांगी है।


घर में मातम


माता-पिता ने बड़े अरमानों से अपने लाडले को मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा भेजा था। पिता समय सिंह इस सदमे से बुरी तरह टूट चुके हैं। उन्‍होंने कहा कि मेरा बेटा पढ़ाई में अच्‍छा था और होनहार भी था। डॉक्‍टर बनने का सपना न केवल उसका, बल्कि हमारा भी था। इसलिए कोचिंग की मोटी फीस का बंदोबस्‍त करते रहे। उसने दबाव जैसी बात कभी साझा नहीं की। पता होता तो बेटे को अपने पास बुला लेते।



हो रहा है संदेह


कमरे से मिले सबूत संदेह भी पैदा करते हैं। हेमराज ने सल्फास का सेवन कर फंदा लगाया। जब फंदा ही लगाना था तो सल्‍फास का सेवन क्‍यों किया। जान देने के लिए दो विकल्‍प चुनना, सवाल खड़े करता है। पंखे पर लटके शव के हाथ बंधे होना भी सवाल खड़े करता है। पत्र लिखते समय वह बेहोश हो रहा था तो हाथ कैसे बांध लिए, और फंदे तक कैसे पहुंच गया। सुसाइड नोट में हेमराज ने जिक्र किया है कि अब उस पर लिखा नहीं जा रहा है। अगर वह सल्फॉस का सेवन कर चुका था और लिखने को अशक्त हो चुका था तो फिर फांसी के फंदे पर झूलने की शक्ति कहां से आ गई? फंदे पर लटकने से पहले हेमराज ने अपने हाथ कैसे बांध लिए? पत्र में जान शब्द का जिक्र गहरे संबंधों को उजागर करता है, इसकी जांच भी राज खोल सकती है। पुलिस को पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है।