उत्तर प्रदेश के गोंडा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयां और इंजेक्शन जलाने का मामला सामने आया है. इस हरकत से वहां का कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर परेशानी में पड़ता दिख रहा है. दरअसल इस घटना का वीडियो बना लिया गया है जो अब बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस मामले में सीएचसी अधीक्षक डॉ सुरेश चंद्रा का साफ कहना है कि दवाइयां उनके यहां की नहीं हैं और बाहर से आकर लोग इन्हें परिसर में जला रहे हैं.
प्रदेश सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने की कवायद -
जहां प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को हाईटेक करने के लिए रोज नए मेडिकल कॉलेज बनाने की बात कर रही है और लोगों को मुफ्त चिकित्सा देने के लिए लगातार काम कर रही है तो वहीं निचले स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रही है.
गोंडा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कर्नलगंज परिसर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कुछ दवा और इंजेक्शन जलाये गए हैं. इसके बाद से सीएचएस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे दवा एक्सपायर थी तो समय से इस्तेमाल क्यों नहीं की गई और कहीं और की है तो परिसर के अंदर क्यों जलायी जा रही है.
क्या कहा केंद्र अधीक्षक ने -
पूरे मामले पर कर्नलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा है कि ‘ये हमारे स्वास्थ्य केंद की दवा नहीं है. समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आसपास कई मेडिकल सेंटर हैं. उन लोगों ने लाकर कूड़े में दवा फेंक कर जलायी होगी. इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकता.’ उन्होंने आगे कहा कि एनम सेंटर के पास अस्पताल का कूड़ा जलाया जाता है. उसमें मेडिकल स्टोर संचालक आकर अपनी एक्सपायर दवाइयां और सिरप की शीशियां डाल गए हैं.
उठते हैं ये सवाल -
अब सवाल ये उठता है कि सीएससी में अस्पताल के कूड़ा निस्तारण करने की व्यवस्था नहीं है, जो उसे जलाए जा रहा है. और अगर जलाया जा रहा है तो कूड़ा जलाने की अनुमति किसने दी है. यही नहीं क्या यह एनजीटी के नियमों के विरुद्ध नहीं है? सबसे जरूरी बात कि क्या अस्पताल में कोई चौकीदार नहीं है जो बाहरी लोग करके अपना कूड़ा दवाइयां अस्पताल परिसर में फेंक जाते है?
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