Meerapur Bypoll Election 2024: मीरापुर विधानसभा सीट पर अगले महीने होने वाले उपचुनाव से पहले सियासी रस्साकशी तेज हो गई है. मीरापुर सीट पर बीजेपी ने मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है. मिथलेश पाल ने शुक्रवार (25 अक्टूबर) को अपना नामांकन दाखिल किया. उनके नामांकन दाखिल करने के बाद सियासी गलियारों कयासआराई शुरू हो गई.


यहां से बीजेपी नेत्री मिथलेश पाल को ही रालोद से चुनाव लड़ाने का फैसला क्यों किया गया? जयंत चौधरी ने अपने नेताओं दरकिनार मिथलेश पाल को क्यों तरजीह दी. इसको लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. मिथलेश यादव को सपा के पीडीए फॉर्मूले के काट के तौर पर देखा जा रहा है.


बीजेपी नेत्री को रालोद से टिकट
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला काफी सफल रहा था. इससे वेस्ट यूपी में बीजेपी को काफी नुकसान हुआ. इससे सबक लेते हुए अब बीजेपी ने अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले की काट निकाली है. उसी में से एक नाम है मिथलेश पाल. 


मीरापुर सीट से रालोद ने मिथलेश पाल को चुनाव मैदान में उतारा है. मिथलेश पाल ओबीसी वर्ग से आती हैं. ओबीसी वर्ग के सहारे मीरापुर के रण को जीतने के लिए बीजेपी और रालोद ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं.
 
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और रालोद मुखिया जयंत चौधरी के बीच पहले से ही यह तय हो गया था कि कैंडिडेट बीजेपी का होगा और सिंबल रालोद का. इसके लिए दो शर्तें रखी गई थीं कि रालोद के किसी नेता को बीजेपी से चुनाव लड़ा दिया जाए और दूसरा बीजेपी की नेत्री को रालोद से चुनाव लड़ा दिया जाए. आखिरकार सहमति दूसरी बात पर बनी और नाम फाइनल करके रख लिया गया था.


सपा के प्लान की काट हैं मिथलेश पाल!
अखिलेश यादव ने मीरापुण उपचुनाव में पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु को चुनावी रण में उतारा है. जिसके बाद बीजेपी और आरएलडी ने भी मीरापुर में महिला प्रत्याशी को उतारने का फैसला किया. महिला प्रत्याशी के रुप में कई नाम पर चर्चा हुई, आखिर में मिथलेश पाल का नाम फाइनल कर दिया गया.


अखिलेश यादव के महिला कार्ड के दांव का बीजेपी और आरएलडी ने उसी भाषा में जवाब देने का फैसला किया. मिथलेश पाल को टिकट देने की बड़ी वजह यह भी रही है कि वह इससे पहले मोरना और अब मीरापुर के नाम से जाने जाने वाली विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं. 


रालोद में दो दर्जन से ज्यादा टिकट के दावेदार थे, लेकिन सभी को दरकिनार कर जयंत चौधरी ने मिथलेश पाल का नाम फाइनल किया. यह जयंत और बीजेपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र शर्मा ने बताया कि यहां से चार मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं और इसका बीजेपी को बड़ा लाभ मिलेगा.


सियासी जानकारों ने कहा?
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र शर्मा के मुताबिक, बीजेपी-रालोद को पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के छिटकने का डर है, इसलिए भी यह कदम उठाया गया है. पहले जयंत ने अखिलेश के साथ चुनाव लड़ा था तो मुस्लिम साथ थे, लेकिन इस बार जयंत बीजेपी के साथ हैं तो पिछड़ों के सहारे अखिलेश की काट ढूंढने के लिए यह कदम उठाया है.


वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र शर्मा ने कहा कि हरियाणा में नायब सैनी के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने से बीजेपी-रालोद गठबंधन को सैनी वोट मिलना तय है. उन्होंने कहा कि मिथलेश पाल को टिकट देना अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले से पार पाने की काट है.


मिथलेश पाल को मीरापुर के सियासी कुरूक्षेत्र में उतारने के पीछे की वजह जानने के लिए वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला से बात की. इस पर संतोष शुक्ला ने कहा कि जातियों की जटिलता से दूर खड़ा नाम मिथलेश पाल है. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी अब जाट और गुर्जर की राजनीति की छाप हटाकर सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं.


वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला के मुताबिक, अनुसूचित वर्ग के अनिल कुमार को कैबिनेट मंत्री बनाकर जयंत ने अपने इरादे जता दिए थे और अब ओबीसी वर्ग की मिथलेश पाल को टिकट देकर वह एक कदम और आगे बढ़े हैं.


संतोष शुक्ला ने कहा कि मिथलेश पाल बीजेपी नेत्री हैं, ऐसे में उनके चुनाव में उतरने से बीजेपी का भावानात्मक जुड़ा रहेगा और रालोद के सिंबल पर लड़ने की वजह से रालोद के नेता भी पूरी ताकत लगाएंगे. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी आंतरिक राजनीति का विस्तार कर रहें हैं.


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