Meerapur Bypoll Election 2024: उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अब महज कुछ दिन और बाकी रह गए हैं, उससे पहले प्रदेश में सियासी तपिश बढ़ गई है. इस बार सबकी नजर मीरापुर विधानसभा सीट पर टिकी हुई हैं. मीरापुर उपचुनाव 15 साल पुरानी कहानी को दोहराता हुआ नजर आ रहा है.


मीरापुर सीट पर सभी दलों के जरिये प्रत्याशित घोषित करते हुए यहां के पुराने सियासी समीकरणों पर किस्सों पर पन्ने पलटे जाने लगे. यहां के चुनाव में इस बार कुछ किरदार नए हैं तो कुछ पुराने हैं, लेकिन मीरापुर का एक सियासी घराना इस समय केंद्र बिंदु में है. इसी की वजह से यहां मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है.


राणा परिवार के सामने कड़ी चुनौती
सियासत के इतिहास के पुराने पन्नों पर नजर डालें, तो 15 साल यहां दिलचस्प चुनावी किस्सा नजरों के सामने घूमने लगता है.  मीरापुर सीट साल 2009 में मोरना विधानसभा के नाम से जानी जाती थी. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कादिर राणा मोरना से विधायक चुने गए थे.


हालांकि साल 2009 के चुनाव में बीएसपा ने कादिर राणा को मुजफ्फरनगर लोकसभा से प्रत्याशी बना दिया और वो सांसद निर्वाचित हुए. यह सीट खाली हुई तो कादिर राणा ने अपने भाई नूर सलीम राणा को मोराना से चुनावी रण में उतार दिया, जहां उनका मुकाबला रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल से हुआ.


उपचुनाव में मिथलेश पाल ने नूर सलीम राणा को करारी शिकस्त दी. इस बार फिर मिथलेश पाल रालोद से मैदान में हैं, तो इस बार कादिर राणा की पुत्रवधु सुम्बुल राणा उनके सामने चुनावी मैदान में हैं. मीरापुर सीट पर एक बार फिर मिथलेश पाल का मुकाबला राणा खानदान से होने जा रहा है.


रालोद ने मिथलेश पाल पर लगाया दांव
जयंत चौधरी ने सुनियोजित रणनीति के तहत मिथलेश पाल को मैदान में उतारा है. 2009 में रालोद से मिथलेश पाल विधायक रह चुकी हैं. समाजवादी पार्टी ने जैसे ही पूर्व सांसद और कद्दावर नेता कादिर राणा की पुत्रवधु सुम्बुल राणा को प्रत्याशी घोषित किया वैसे ही रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भी अपने पत्ते खोल दिए. 


जयंत चौधरी की इस रणनीति के बाद दो महिलाएं मीरापुर के मैदान में आमने सामने होने से सियासी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो चुकी है. सपा अपने पीडीए के फॉर्मूले से पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को साधकर जीत के सपना बुन रही है, जबकि रालोद अपने और बीजेपी के मजबूत वोट बैंक के सहारे मीरापुर सीट हथियाने के फिराक में है. 


सांसद चंदन चौहान ने दोहराया इतिहास
राजनीति में इतिहास अपने पुराने दौर को भी दोहराता है. साल 1996 में संजय चौहान ने समाजवादी पार्टी से मोरना विधानसभा चुनाव का जीता और वह विधायक बने. इसके बाद 2009 में बीजेपी रालोद गठबंधन से संजय चौहान बिजनौर के सांसद निर्वाचित हुए. 


सियासत की ये पुरानी कहानी 2022 में फिर दोहराई गई. जिस मोरना सीट से पिता विधायक निर्वाचित हुए थे, उस सीट पर यानी मीरापुर के नाम से जानी जाने वाली सीट से चंदन चौहान विधायक चुने गए. 2024 में चंदन चौहान रालोद बीजेपी गठबंधन के तहत बिजनौर लोकसभा से सांसद निर्वाचित हुए और अब मीरापुर सीट खाली है.


मीरापुर में हर प्रत्याशी का मजबूत दांव
मीरापुर में सपा की सुम्बुल राणा की जीत का दावा काफी हद तक मजबूत भी है. रालोद बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल भी खुद की जीत का दावा कर रहीं है. दूसरी तरफ बीएसपी प्रत्याशी शाह नजर और आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी जाहिद हसन भी यहां से ताल ठोंक रहे हैं.  


एआईएमआईएम ने मीरापुर सीट से अरशद राणा को अपना प्रत्याशी बनाया है. ये सभी प्रत्याशी जीत का दावा करते हुए विजय पताका फहराने को लेकर आश्वस्त हैं. हालांकि जीत का सेहरा किसी एक के सिर बंधेगा और वह खुशकिस्मत कौन होगा ये मीरापुर की जनता तय करेगी.


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