UP ByPolls 2024:  उत्तर प्रदेश स्थित मुजफ्फरनगर में मीरापुर उपचुनाव के नतीजों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस छिड़ी है मुस्लिम वोटों पर दावेदारी को लेकर. मीरापुर की महाभारत में भी ऐसा ही हुआ. रालोद और बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल की जीत की कहानी में कई बड़े फैक्टर सामने आए हैं. इनमें ओवैसी की पतंग और सांसद चन्द्रशेखर आजाद की केतली ने अखिलेश यादव के लिए मुश्किलें ही नहीं खड़ी की बल्कि साइकिल को विधानसभा पहुंचने से रोक दिया. अब सवाल उठ रहा है कि क्या मुस्लिम वोट अखिलेश से छिटकने लगे हैं.


मिथलेश पाल की राह हुई आसान
मीरापुर के सियासी मैदान में चार बड़े दलों से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे गए थे. इसको लेकर हर तरफ चर्चा थी कि मुस्लिमों का बंटवारा होगा और रालोद और बीजेपी को फायदा. रालोद और बीजेपी एक बड़ी रणनीति के तहत मीरापुर के मैदान में घेराबंदी कर रही थी. सपा ने साइकिल से सुम्बुल राणा को मैदान में उतारा, आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन, बसपा ने शाहर नजर और ओवैसी ने अरशद राणा पर दांव लगाया. बस यहीं से रालोद की राह आसान मानी जा रही थी, लेकिन बावजूद इसके सीएम योगी ने पूरी ताकत झोंकी और जयंत चौधरी अपने सांसद और विधायकों के साथ विपक्ष के चक्रव्यूह को तोड़कर मिथलेश पाल के लिए मजबूत किलेबंदी करते नजर आए और उसमें कामयाब भी हो गए.


22 हजार 661 मतदाताओं ने हाथ में थामी चन्द्रशेखर की केतली
मीरापुर उपचुनाव में सबसे बड़ी चौकानी वाली कहानी आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी जाहिद हुसैन ने लिखी. जाहिद हुसैन को 22,661 वोट मिले. ये वोट जीत की कहानी लिखने के लिए भले ही नाकाफी थे, लेकिन सपा को हार दिलाने के लिए काफी थे. सांसद चन्द्रशेखर आजाद ने कई बार मीरापुर में जनसभाएं की, खुद को सभी दलों से बेहतर साबित करने की कोशिश की, केतली थामने की गुजारिश की और उसका ये असर नजर आया कि 22 हजार 661 वोट उनके प्रत्यशाी जाहिद हुसैन को मिल गए. इतने बड़े आंकड़े ने सभी को चौका दिया, क्योंकि अखिलेश यादव इन वोटों को अपना मानकर चल रहे थे, लेकिन चन्द्रशेखर ने उसमें मजबूत सेंध लगा दी.


18 हजार 869 मतदाताओं ने उड़ाई ओवैसी की पतंग
मीरापुर की रणभूमि में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी खूब पेंच लड़ाए. उनकी पतंग आसमान ने सबसे उपर नजर आए इसलिए बड़ी जनसभा में अखिलेश और बीजेपी पर हमलावर नजर आए. नतीजा एआईएमआईएम प्रत्याशी अरशद राणा को 18 हजार 869 वोट मिले. ये भी वही वोट थे, जिन्हें अखिलेश यादव अपना मानकर चल रहे थे और इन्हीं वोटों के आधार पर पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु सुम्बुल राण को टिकट दिया था, लेकिन ओवैसी ने हवा का रूख बदलने और अखिलेश की जीत की राह मुश्किल करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. मतदान के दिन एआईएमआईएम प्रत्याशी अरशद राणा के नाबालिग बेटे को हिरासत में लेने और उनके पुलिस से उलझने और बीजेपी पर हमलावर होने भी मतदाओं का मन पलटा और 18 हजार 869 वोट लेने में कामयाब हो गए.


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मीरापुर में 53, 508 मतदाओं ने चलाई साइकिल
अखिलेश यादव ने बड़ा दांव चला था. सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा बसपा के बड़े नेता मुनकाद अली की बेटी हैं और पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु. इस दांव के सहारे अखिलेश बसपा को चित करने में तो कामयाब रहे, लेकिन ओवैसी की पतंग और चन्द्रशेखर आजाद की केतली से निपटने की रणनीति नहीं बना पाए. नतीजा सुम्बुल राणा 53 हजार 508 वोट पर सिमट गई, जबकि रालोद बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल को 84.304 वोट मिली, यानि 30,796 वोट से सपा हार गई. अब सपा की साइकिल के साथ यदि हम पतंग और केतली की वोट जोड़ दें तो ये आंकड़ा 95 हजार वोटों से ज्यादा नजर आता है और इसी आंकड़े को लेकर अखिलेश यादव ने यहां दाव चला था, लेकिन वो फेल साबित हुआ. यानि अखिलेश का पीडीए दाव काम नहीं आया और मुस्लिम वोटों के बंटवारे ने भी रालोद बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल की जीत ही नहीं आसान की, बल्कि एक बड़े अंतर से उन्हें चुनाव जिताकर पश्चिमी यूूपी में एक बड़ा संदेश भी दे दिया.


शाहिद मंजूर बोले- भाजपा नहीं सरकार का चुनाव था
इस पूरे मामले पर जब हमें सपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक शाहिद मंजूर से बात की तो उन्होंने कहा कि ये चुनाव बीजेपी का नहीं सरकार का चुनाव था. सरकार से मुकाबला करते हुए जहां जनता ने वोट किया, वो वोट हमें मिल गई. हमें वोट डालने दी जाती तो हम चुनाव जीत जाते. जब उनसे सवाल किया गया कि आजाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम ने आपकी जीत का खेल बिगाड़ दिया तो कहने लगे हमें वोट नहीं डालने दी गई, यदि हमें वोट डालने दी जाती तो हमें कोई नहीं हरा सकता था.