पढ़ाई की जिद पर भारी पड़ी गरीबी, आर्थिक तंगी से परेशान पिता ने बेटी के साथ जहर खाकर दी जान
Meerut Today News: मेरठ में एक बेटी पढ़ाई कर के बुलंदियों को छूना चाहती थी, लेकिन गीरब पिता एडमिशन के लिए 15 सौ रुपये तक नहीं जुटा सका. आर्थिक तंगी से परेशान होकर पिता ने ये खौफनाक कदम उठा लिया.
Meerut Suicide Case: मेरठ में एक ऐसी घटना हुई, जिसने सबको झकझोर दिया है, यहां एक बेटी 11वीं में पढ़ना चाहती थी, लेकिन मजदूर पिता की जेब खाली थी. वो बेबस और लाचार था. इसी लाचारी में उसने अपनी बेटी के साथ जहर खा लिया. गांव वाले दोनों को अस्पताल भी ले गए, लेकिन दोनों की तड़प तड़प कर मौत हो गई. पुलिस ने दोनों का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
मामला मेरठ के दौराला थाना इलाके के चिरौडी गांव का है. यहां रहने वाले जोगेंद्र प्रजापति मजदूरी करते थे. उनकी पत्नी लता भी मजदूरी करती हैं. शाम को जब लता मजदूरी करके लौटी तो अपनी 17 साल की बेटी खुशी को आवाज लगाई, लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई. कमरे में गई तो देखा पति जोगिंद्र और बेटी खुशी बेसुध पड़े थे और दोनों के मुंह से झाग निकल रहे थे. उसने शोर मचा दिया तो आसपास के लोग भी आ गए. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
बच्चे खेल रहे थे बाहर और अंदर पिता-बेटी ने खाया था जहर
मजदूरी करने वाले जोगेंद्र प्रजापति के 17 साल की बेटी खुशी, सहित 13 साल की बेटी शीतल, 10 साल की बेटी शिवानी और दो बेटे आठ साल का शिवम और पांच साल का बेटा रजत हैं. खुशी ने गांव के ही सरस्वती शिशु मंदिर से 10 वीं पास की थी. वो 11वीं में दाखिला लेना चाहती थी. कई बार पिता से कहा तो उसने आर्थिक तंगी का हवाला दे दिया. खुशी पढ़ना चाहती थी और अपने पिता से बार बार गुहार लगाती थी, लेकिन पैसे की कमी ने पढ़ाई का रास्ता रोक दिया. दोपहर में पिता जोगेंद्र कहीं से आए और कमरे में चले गए. चारों बच्चे घर के बाहर खेल रहे थे. पिता और बड़ी बेटी ने जहर खा लिया लेकिन बच्चे छोटे होने की वजह से कुछ समझ नहीं पाए. समय रहते दोनों के जहर खाने की बात पता चल जाती तो शायद जान बच जाती.
आर्थिक तंगी से परेशान पिता और बेटी ने की आत्महत्या
बेटी खुशी के एडमिशन के लिए 1500 रुपए की जरूरत थी. पूरी कोशिश के बावजूद 1500 रुपए इकट्ठा नहीं कर पाया. क्योंकि इतने बड़े परिवार की परवरिश में ही सारे पैसे खर्च हो जाते थे. जोगेंद्र जिस सल्फास को अनाज में रखने के लिए लाया था, उसका इरादा बदल गया. सल्फास पहले उसने बेटी खुशी को खिलाया और फिर खुद भी खा लिया. लता ने डॉक्टर को बताया था कि उसका पति बार बार कह रहा था कि सल्फास खा लिया है. दोनों का डॉक्टर इलाज कर ही रहे थे कि बेटी खुशी की मौत हो गई और उसके कुछ देर बाद पिता जोगेंद्र की भी मौत हो गई.
पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
इस मामले पर सीओ दौराला शुचिता सिंह का कहना है कि गांव में लोग आर्थिक तंगी की वजह से जहर खाने की बात कर रहे हैं. बड़ी बेटी 11वीं में पढ़ना चाहती थी, लेकिन जोगेंद्र के पास पैसे नहीं थे, और मजबूरी में बेटी और जोगेंद्र दोनों ने जहर खा लिया. दोनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए हैं. साथ ही परिवार के बाकी लोगों से भी बात करेंगे.
ये भी पढ़ें: Udham Singh Nagar: इश्कबाज इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज, फोन पर युवती से करता था अश्लील बातें