आत्मनिर्भर भारत की बेमिसाल तस्वीर, दिव्यांगों ने खोला अनोखा ढाबा, खासियत जानकर दंग रह जाएंगे आप
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से मेरठ के कुछ दिव्यांग साथी इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना ढाबा खोलकर अलग ही पहचान बना ली है.
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मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को प्रेरणास्रोत मानकर नई पहल शुरू की और आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ा दिए कदम. आपने देश के कई ढाबों में खाना खाया होगा लेकिन आज हम आपको ऐसे अनोखे ढाबे के बारे में बताएंगे जहां काम करने वाला हर शख्स दिव्यांग है. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से दिव्यांगों की ये टीम इतना प्रभावित हुई कि उन्होंने अपना ढाबा ही खोल दिया. ढाबे में रोटी सेंकने वाली महिला से लेकर वेटर तक और रिस्पेशन से लेकर होम डिलीवरी ब्यॉय तक हर शख्स दिव्यांग है. इस ढाबे में जो भी आता है, दिव्यांग टीम को सैल्यूट करके ही जाता है.
अपने पैरों पर खडे़ हैं दिव्यांग आत्मनिर्भर भारत की ये बेमिसाल तस्वीर है. ये कहानी ऐसे आत्मनिर्भर दिव्यांगों की है जो ठीक से चल नहीं सकते लेकिन अपने पैरों पर खडे़ हैं. ये कहानी उन तमाम लोगों के लिए सबक है जो चंद मुश्किलों के सामने ही घुटने टेक देते हैं. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से मेरठ के कुछ दिव्यांग साथी इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना ढाबा खोलकर अलग ही पहचान बना ली है.
हर शख्स दिव्यांग है गौर करने वाली बात ये है कि यहां काम करने वाला हर शख्स दिव्यांग है. यहां रोटी सेंकने वाली महिला से लेकर डिलीवरी ब्यॉय तक सभी दिव्यांग है. यहां तक कि होम डिलीवरी ब्यॉय भी दिव्यांग है और वो घर-घर तक लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हैं. नए साल के पहले दिन एक जनवरी 2021 को इन्होंने जीवन की एक नई शुरुआत की. ये नवीन शुरुआत आज हर ओर चर्चा का विषय बनी हुई है.
सचिन तेंदुलकर से भी ली प्रेरणा इस ढाबे के मालिक दिव्यांग अमित का कहना है कि पीएम मोदी के साथ साथ उन्होंने सचिन तेंदुलकर से भी प्रेरणा ली है. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से अमित एक बार मिल भी चुके हैं. अमित सचिन तेंदुलकर की हमेशा जीतने वाली भावना से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने जिंदगी की इस जंग में जीत हासिल करने के लिए ढाबे के रुप में ये शानदार शुरुआत कर दी.
ये है सपना इस ढाबे के लोगों की दिली चाहत है कि काश सचिन तेंदुलकर उनके ढाबे में कभी मेहमान बनकर आएं और वो उन्हें भोजन कराएं. ढाबे के लोगों का कहना है कि जैसे राम शबरी के आश्रम पहुंचे थे वैसे ही कभी सचिन तेंदुलकर उनके ढाबे पर आ जाएं तो समझिए उनकी मनोकामना पूरी हो जाएगी.
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