मेरठ, बलराम पांडे। मेरठ में प्रवासी मजदूर लगातार पहुंच रहे हैं. लेकिन प्रशासन अभी तक उन्हें गंतव्य तक भेजने की कोई कवायद करता हुआ नहीं दिख रहा है। शहर में सैकड़ों की तादाद में मौजूद प्रवासी मजदूरों के इकठ्ठा होने से सोशल डिस्टेंसिंग के नियम ध्वस्त हो गये।भूखे प्यासे छोटे छोटे बच्चों के साथ श्रमिक अपने घर कब पहुचेंगे ये सवाल अब भी बरकरार है।


मेरठ में चार दिन से ज्यादा का वक्त बीत गया लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक भेजने का कोई इंतजाम नहीं हो पाया। एबीपी गंगा लगातार अधिकारियों से बात कर रहा है और ये सवाल उठा रहा है कि जब मुख्यमंत्री जी ने साफ कह दिया कि सड़कों पर जो भी मजदूर दिखाई दे उनके रहने खाने की व्यवस्था प्रशासन तत्काल करे और उन्हें उनके गंतव्य तक भेजने के इंतजाम करें। चिलचिलाती धूप में भूखे प्यासे बच्चों के चेहरे भूख और प्यास से मुरझा गए हैं। उन्हें न दूध मिल रहा न उनकी मां को भोजन। गर्मी में खुले आसमान के नीचे इस इंतजार में बैठे हैं कि सरकार इनकी तरफ ध्यान देगी और इन्हें अपने घर तक जरूर भेजेगी।


मेरठ से सामने आयी तस्वीरें हलाता बयाम करने के लिये काफी हैं कि जिला प्रशासन मुख्यमंत्री के निर्देशों का कितना पालन कर रहा है। वहीं इन प्रवासी मजदूरों का न स्वास्थ्य परीक्षण हो रहा है और न ही खाने की व्यवस्था। दूसरी तरफ जब इनको भेजने के लिए कोई साधन नहीं है, तो कम से कम इनके रहने की व्यवस्था तो प्रशासन करे ताकि ये अपने बच्चों के साथ इस धूप से बच सके और भूखे प्यासे अपने इन बच्चों को कुछ खिला सके। लेकिन सवाल इस बात का की आखिर लापरवाह जिला प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों की सुध कब लेगा।