मेरठ बिल्डिंग हादसा: कई इलाकों में मकान जर्जर, भगवान भरोसे लोगों की जिंदगी, मौत को दे रहे दावत
तीरगरान इलाके से ही सटा हुआ है रामगली इलाका भी. यहां भी एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा मकान ऐसे हैं कि जो काफी पुराने हैं. किसी की खिड़की दीवार से अलग है तो किसी की चौखट.
Meerut Building Collapse: मेरठ की जाकिर कॉलोनी में मकान हादसे में मरे 10 लोगों की घटना के बाद पैदा हुए जख्म अभी हरे हैं. इस घटना से हर दिल रो पड़ा था, लेकिन बावजूद इसके लिए इतनी बड़ी घटना से भी सबक लेने को कुछ लोग तैयार नहीं हैं. मेरठ में तीरगरान और रामगली दो ऐसे इलाके हैं कि जहां पर कई ऐसे मकान हैं जो जर्जर हैं, गिरने को खड़े हैं, लेकिन बावजूद इसके लोग उन्हीं मकानों में रह रहें हैं और मौत को दावत दे रहें हैं.
हादसे बताकर नहीं होते हैं, लेकिन हादसों से सबक लेना भी जरूरी हो जाता है. मेरठ के तीरगरान इलाके में कई ऐसे मकान हैं कि जहां दीवार और दरार एक-दूसरे से बहुत दूर है. कहीं लेंटर लटका पड़ा है तो कहीं दीवार ने पिलर का साथ छोड़ दिया है. अब इसे मजबूरी कहें या कुछ और लेकिन हालतों को देखकर आप भी डर जाएंगे. कई मकानों के छज्जे गिरने को खड़े हैं, लेकिन लोग उनमें रह भी रहें हैं और नीचे दुकानों में काम भी कर रहें हैं. लेंटर रोज टूट टूटकर गिर रहा है, लेकिन बावजूद इसके न तो डर है और न खौफ है. कह रहें हैं गुंजाईश नहीं है, पैसे चाहिए मकान ठीक कराने के लिए लेकिन कहां से लाएं. इसलिए मजबूरी में ऐसे रह रहें हैं.
रामगली में धंस रहे मकान और दरारें डरा रहीं
तीरगरान इलाके से ही सटा हुआ है रामगली इलाका भी. यहां भी एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा मकान ऐसे हैं कि जो काफी पुराने हैं. किसी की खिड़की दीवार से अलग है तो किसी की चौखट. घर के फर्श से लेकर दीवारों तक भी दरारें ऐसी हैं कि डरा रहीं हैं. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी इन ज्यादातर घरों में हैं, लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद न तो कोई मरम्मत करा रहा है और न कोई इनसे बाहर निकलने को तैयार है. कोई हादसा होता है तो एक-दो दिन जरूर डर के साए में ये लोग रहते हैं, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है. जब सवाल किया तो बोले राम के भरोसे रह रहें हैं जो होगा देखा जाएगा.
रामगली इलाके में दो लोग ऐसे हैं कि जिन्होंने जाकिर कॉलोनी हादसे के बाद अपने पुराने मकान को छोड़ दिया. उन्हें लगा कि जरा सी गलती और लापरवाही भारी न पड़ जाए. मकान छोड़कर दूसरी जगह चले गए हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे हैं कि जो अभी भी इन्हीं जर्जर मकानों में रह रहें हैं. सबको सब दिखता है, लेकिन फिर भी अनदेखा कर रहें हैं. कह रहें हैं पड़ोसी भी तो रह रहें हैं हमें ही क्या दिक्कत है. जब उनसे कहा गया कि जाकिर कॉलोनी में भी यही कहानी थी कि आज सही कराएंगे और कल सही कराएंगे, लेकिन आज और कल के चक्कर में ही 10 जिंदगी चली गई, तो बोले, ठीक है ही जल्दी कुछ करते हैं.
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कई इलाकों में हैं जर्जर मकान
मेरठ शहर के पुराने इलाके की बात करें तो ये इलाके काफी पुराने हैं. आज भी पुराने बने मकान इन इलाकों में दिख ही जाएंगे. कुछ इतने पुराने हैं कि जर्जर हालत में खड़े हैं, लेकिन कब गिर जाएं किसी को कुछ नहीं पता. कभी किसी मकान का छज्जा गिरने तो कभी किसी मकान की दीवार धंसने की खबरें अकसर आती ही रहती हैं. लेकिन कुछ लोग मजबूरी में इन्हीं मौत को दावत देते मकानों में फंसे हैं तो कुछ लोग अपना इलाका ही नहीं छोड़ना चाहते हैं, लेकिन खतरा कम नहीं है, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. बावजूद इसके अनदेखी की जा रही है और ये अनदेखी भारी पड़ सकती है.