Meerut Suicide Case: मेरठ में मां की डांट से क्षुब्ध युवती इतने गुस्से में आ गई कि अपनी जिंदगी खत्म करने की ही ठान ली. वो घर से निकली और नहर में छलांग लगाकर अपनी जान दे डाली. परिवार के लोगों का रो रोकर बुरा हाल है. बस वो यही कह रहें हैं कि परिवार में गुस्सा और नाराजगी तो होती ही रहती है, लेकिन बेटी ऐसा गलत कदम उठा लेगी किसी ने सोचा नहीं था. पुलिस ने घंटों की मशक्कत के बाद शव बरामद कर लिया है.


मामला मेरठ के देहात इलाके मवाना थाना इलाके के कुड़ी कमालपुर गांव का है. यहां रहने वाली बिजेंद्री के पति की मृत्यु हो चुकी है और उनका बेटा निखिल, बेटी शालू और एक और बेटी के साथ रहती है. निखिल और शालू में किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी. शालू लगातार अपने भाई निखिल से बहस कर रही थी. बहस बढ़ती जा रही थी और ये बात निखिल को नांगवार गुजर रही थी. तभी शालू की मां बिजेंद्री ने हस्तक्षेप कर दिया. उन्होंने बेटी शालू को डांट लगाई कि भाई से कैसे बोल रही हो, लड़की हो ठीक ढंग से रहा करो. बस यही बात शालू को नागवार गुजरी और नहर में कूदकर जान दे डाली.


बाउंड्री पर बैठी और छलांग लगा डाली


भाई से बहस और मां की डांट से युवती शालू इतनी गुस्से में आई कि घर से पैदल ही निकल गई. घर वालों ने सोचा कि वैसे ही कहीं जाकर बैठ गई होगी कुछ ही देर बाद वो अपनी बेटी को ढूंढने के लिए निकले तो उसका कोई पता नहीं चला. कुछ ही देर बाद कमलापुर नहर पर लोगों की भीड़ लगी थी. पता चला कि एक युवती आई थी, जिसकी उम्र करीब 20 साल होगी.


हम लोग यहां खड़े थे, तभी युवती आई और नहर की बाउंड्री पर बैठ गई. हम कुछ समझ पाते और युवती को टोकने जा ही रहे थे कि युवती ने झट से नहर में छलांग लगा दी. आसपास के लोग मौके पर दौड़े, लेकिन युवती पानी में डूब गई और उपर नहीं आई. पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई.


गोताखोरों ने घंटों की मशक्कत के बाद शव किया बरामद


युवती शालू को गांव और परिवार के लोगों ने काफी तलाशा लेकिन वो नहीं मिली. पुलिस ने गोताखोरों को बुला लिया. गोताखोरों ने युवती को ढूंढ़ने के लिए पूरी ताकत लगा दी. बताया जा रहा है कि पीछे फाटक से नहर का पानी भी रोक दिया गया. रात के वक्त काफी आगे जाकर युवती की लाश मिल गई.


इंस्पेक्टर मवाना सुभाष सिंह ने बताया कि गोताखोरों की मदद से युवती की लाश बरामद कर ली गई, लेकिन परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दिया और शव को अपने साथ ही ले गए. परिजन रो रोकर बस यही कह रहे थे कि क्या अब बच्चों को डांटते हुए भी सोचना पड़ेगा. जरा सी डांट पर बेटी ने जान दे दी और हमारे बारे में सोचा भी नहीं.


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