(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मेरठ: वेंटीलेटर पर जिला अस्पताल में मलेरिया विभाग, 40 लाख की आबादी, केवल 19 कर्मचारी
जिले का मलेरिया विभाग स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है. 40 लाख की आबादी में केवल 6 इनफीरियर फील्ड वर्कर और 13 सीनियर फील्ड वर्कर हैं. इस कमी के कारण मलेरिया और डेंगू से लड़ने में दिक्कतें आ रही हैं
Meerut News: मलेरिया और डेंगू के खिलाफ जंग लड़ने वाला जिला मलेरिया विभाग बीमार है. विभाग वेंटीलेटर पर चल रहा है और विभाग को ऑक्सीजन की जरूरत है. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद विभाग को ऑक्सीजन ही नहीं मिल पा रही है. जिला मलेरिया विभाग दैनिक मजदूरों के दम पर मलेरिया और डेंगू से जंग लड़ रहा है. कई सालों से कोशिशें की जा रहीं हैं, लेकिन भर्तियां ही नहीं हो रहीं हैं और स्टाफ मुट्ठीभर रह गया है. अब ऐसे में डेंगू के खिलाफ कैसे मजबूत जंग लड़ी जा सकती है.
मेरठ के जिला मलेरिया विभाग की स्थिति बड़ी विकट है. स्टाफ की कमी का आंकड़ा सुनकर आप चौक जाएंगे. मेरठ की आबादी करीब 40 लाख है. उस लिहाज से जिला मलेरिया विभाग को नालियों और घरों में एंटी लार्वा और टेमीफॉस का छिड़काव करने के लिए 74 इनफीरियर फील्ड वर्कर की जरूरत है, लेकिन विभाग के पास मात्र छह ही कर्मचारी हैं. इन कर्मचारियों की मॉनिटरिंग करने और एंटी लार्वा का छिड़काव कराने के लिए 24 सीनियर फील्ड वर्कर की आवश्यता है, लेकिन आंकड़ा सुनकर आप चौंक जाएंगे कि मात्र 13 ही कर्मचारी विभाग के पास हैं.
कुछ कर्मचारियों के सहारे विभाग
मेरठ के जिला मलेरिया विभाग में स्टाफ की कमी की परेशानी अभियान पर पड़ती है. सरकार ने दैनिक मजूदरों की भर्ती के निर्देश दे रखें हैं और उन्हें 410 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है. जिला मलेरिया विभाग ने इसके लिए डूडा को पत्र लिखकर दैनिक मजदूरों की व्यवस्था की है, ये कर्मचारी अब डेंगू और मलेरिया से जंग लड़ रहें हैं. हालांकि इसमें भी एक बड़ी कमी है, जो कर्मचारी ट्रेंड होते हैं वो कर्मचारी नहीं मिल पाते हैं. जिससे अभियान चलाने में दिक्कतें आती हैं.
एक कर्मचारी को 50 घरों की जिम्मेदारी
जिला मलेरिया विभाग मेरठ में डूडा के सहारे जो दैनिक मजदूर भर्ती किए गए हैं, उन्हें हर रोज का टारगेट दिया जाता है. एक तरफ आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री जागरूकता अभियान चलाती हैं, तो दूसरी तरफ दैनिक मजदूरी पर भर्ती किए गए कर्मचारियों को एक दिन में 50 घर का टारगेट दिया जाता है. घर में कूलर, फ्रीज, गमले, पुराने टायर, घर की छत पर पड़े कबाड़ में पानी न भरे इसके प्रति जागरूक किया जाता है और पूरी रिपोर्ट बनाकर भेजी जाती है. इसके लिए बाकायदा एक ग्रुप बनाया गया है जिस पर पूरी रिपोर्ट आती है. पिछले कई सालों से यही हाल है
जिला मलेरिया अधिकारी सत्यप्रकाश ने बताया कि जनवरी से लेकर अब तक जो अभियान चलाया गया, उसमें 12 डेंगू के मरीज आए हैं. चूंकि बरसात का मौसम चल रहा है ऐसे में विभाग और अलर्ट है. जहां तक स्टाफ की कमी है तो नई भर्तियां नहीं हो रहीं हैं, ऐसे में दैनिक मजदूरों से काम कराया जा रहा है. हमारी पूरी कोशिश है कि डेंगू और मलेरिया के खिलाफ मजबूती से जंग लड़ी जा सके. जितनी ताकत है उस ताकत के हिसाब से हम डेंगू और मलेरिया को कंट्रोल करने में लगे हैं. चूंकि लोग रिटायर्ड होते रहे और भर्तियां हुई नहीं है, इसलिए स्टाफ कम है.
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