मेरठ: जब भी देश की आजादी की बात होती है तो सबसे पहला नाम मेरठ का आता है. क्योंकि, आजादी के लिए जो क्रांति की शुरुआत हुई थी वो मेरठ से ही हुई थी. इसीलिए मेरठ को क्रांतिधरा के नाम से भी जाना जाता है. मेरठ में आज भी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 का उद्गम स्थल मौजूद है जिसे दूर दराज से लोग देखने के लिए आते हैं. साथ ही उन 85 सैनिकों की याद में शहीद स्मारक भी बनाया गया है जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था.
शहीदों को दी जाती है श्रद्धांजलि
26 जननवरी और 15 अगस्त को आज की सेना के अधिकारी और जिले के प्रशासनिक अधिकारी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के उद्गम स्थल पर आकर शहीदों की याद में मौन रखकर उन्हें नमन करते हैं, सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं.
प्राचीन कुआं भी है मौजूद
बताया जाता है कि उद्गम स्थल पर वो प्राचीन कुआं भी मौजूद है जिसमें अंग्रेजों की सेना में भर्ती भारतीय सैनिक युद्ध अभ्यास के बाद पानी पीने आते थे. क्योंकि, अंग्रेजी सिपाहियों के लिए तो पानी की समुचित व्यवस्था थी लेकिन जो हिंदुस्तानी सिपाही थे उनके लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी. यही वजह थी कि वो अपनी प्यास बुझाने के लिए इस कुएं पर आते थे.
आदेश मानने से किया इनकार
24 अप्रैल 1857 को कारबाइन परेड के दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने ये आदेश दिया कि भारतीय सैनिकों को अब सुअर और गाय की चर्बी लगे हुए कारतूस दिए जाएं जो मुह से खोलकर ही इस्तेमाल किए जा सकते थे. जब इसकी जानकारी भारतीय सैनिकों को हुई तो उन्होंने ये आदेश मानने से इनकार करने का निर्णय लिया और 9 मई 1857 को परेड के दौरान उन्होंने कारतूस दागने से मना कर दिया. जिसके बाद 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल हुआ, उनकी वर्दी उतरवा ली गई और उन्हें बंदीखाने में डाल दिया गया. इन सैनिकों का ये विरोध ही अंग्रेजों के खिलाफ पहली क्रांति की आवाज थी, जिसे आज भी 10 मई 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना जाता है.
बनाया गया है शहीद स्मारक
इन 85 शहीदों की याद में मेरठ में शहीद स्मारक स्थल बनाया गया. जहां पर इन सैनिकों के नाम आज भी शिलापट पर लिखे हुए हैं और दूर-दूर से लोग इस शहीद स्थल को देखने और इन सैनिकों के बारे में जानने के लिए आते है. एक संग्रहालय भी बनाया गया है जहां युद्ध से लेकर क्रांति की हर धरोहर को संजोकर रखा गया है.
अमर जवान ज्योति प्रज्वलित करने की मांग
साथ ही अब इस शहीद स्मारक पर दिल्ली की तरह अमर जवान ज्योति प्रज्वलित हो इसके लिए आवाज तेज हो गई है. क्षेत्रीय सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने इस मुद्दे को शून्य काल में सदन में भी उठाया है और उम्मीद है कि जल्द ही दिल्ली की तरह मेरठ में भी अमर जवान ज्योति प्रज्वलित होती दिखेगी.
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